पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि सरकार को बैठकों का खेल बंद कर देना चाहिए तथा एसवाईएल मामले में पंजाब सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है।
पंजाब-हरियाणा सरकारों की बैठक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अब हरियाणा को पानी का उचित हिस्सा दिलाना केंद्र की जिम्मेदारी है।
उन्होंने दावा किया, “अदालत ने हरियाणा के हिस्से का पानी दिलाने की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी थी। हरियाणा और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में हरियाणा को अब तक उसका हिस्सा मिल जाना चाहिए था, लेकिन भाजपा के हरियाणा विरोधी रवैये के कारण ऐसा नहीं हो सका।”
अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हुड्डा ने कहा कि हरियाणा का किसान लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया, “आज राज्य के हर किसान पर 1,82,922 रुपये का कर्ज है। जबकि देश में एक किसान पर औसत कर्ज 74,000 रुपये है। कर्ज में डूबे किसानों के मामले में हरियाणा देश में चौथे नंबर पर है, क्योंकि भाजपा सरकार के दौरान ईंधन, खाद, बीज और दवाइयों के रेट तो बढ़ गए, लेकिन किसानों की फसलों के रेट नहीं बढ़े।” उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में आते ही भाजपा ने अपने चुनावी वादे से मुकरते हुए स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का आँकड़ों के साथ ज़िक्र करते हुए कहा कि इस योजना ने किसानों को कंगाल और बीमा कंपनियों को मालामाल कर दिया है। यह खुलासा संसद में सांसद दीपेंद्र हुड्डा द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में किया गया।