मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज कहा कि राज्य के सभी चिड़ियाघरों के लिए एकीकृत टिकटिंग प्लेटफार्म के विकास से पर्यटकों के अनुभव में वृद्धि होगी तथा राजस्व में भी वृद्धि होगी, जिसे संरक्षण प्रयासों, बुनियादी ढांचे में सुधार तथा वन्य जीव कल्याण में निवेश किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे राज्य की प्राकृतिक सुन्दरता, घने जंगल, बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां और बहुमूल्य वन्य जीवन न केवल हमारी विरासत हैं बल्कि हमारी जीवन रेखा भी हैं।’’
सुखू ने एक मोनाल पक्षी को गोद लिया और लोगों से राज्य के चिड़ियाघरों और पार्कों में रखे गए वन्यजीवों की प्रजातियों को भी अपनाने की अपील की। यहां 73वें वन्यजीव सप्ताह के समापन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री ने तीतर प्रजातियों के संरक्षण पर व्यापक अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति के गठन की घोषणा की।
उन्होंने स्पीति की सरचू घाटी को उसके नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और वन्यजीव गलियारों की सुरक्षा के लिए संरक्षण रिजर्व के रूप में शामिल करने की भी घोषणा की।
सुखू ने कहा, “जबकि सरकार वन्यजीव संरक्षण के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है, हमें यह समझना चाहिए कि इसकी सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है। जब तक हम सभी अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट नहीं होंगे, तब तक हमारे वन्यजीवों की सुरक्षा अधूरी रहेगी।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इस दिशा में वन्यजीव गतिविधि से प्रभावित किसानों और ग्रामीणों के लिए मुआवजा योजनाओं सहित कई पहल की हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “हिमाचल में हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, हिमालयन थार, मृग और काले और भूरे भालू आदि जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वनों की आग, अवैध शिकार को रोकने और वनों को सभी प्रकार के प्रदूषण से मुक्त रखने के उपायों पर सक्रिय रूप से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के देहरा में 680 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का चिड़ियाघर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “चिड़ियाघर का पहला चरण जून 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।”
सुखू ने दुर्गेश अरण्य प्राणी उद्यान और स्पीति वन्यजीव प्रभाग की दो नई वेबसाइटों का उद्घाटन किया। उन्होंने कई प्रकाशनों का भी अनावरण किया, जिनमें ‘संकटग्रस्त जंगली जानवरों के बचाव और उनकी रिहाई पर फील्ड कम्पेंडियम’, ‘शिमला जलग्रहण क्षेत्र के ऑर्किड’, ‘स्पीति की प्राकृतिक टेपेस्ट्री’ और ‘पॉटर्स हिल कंजर्वेशन रिजर्व की प्रबंधन योजना’ शामिल हैं।
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