प्रख्यात शिक्षाविद और आईटीएजी बिजनेस सॉल्यूशंस लिमिटेड के निदेशक डॉ. धनपत राम अग्रवाल ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में एक विशेषज्ञ व्याख्यान देते हुए कहा कि आज के ज्ञान, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग में बौद्धिक संपदा आर्थिक विकास की सबसे मजबूत नींव के रूप में उभरी है।
एमडीयू के संकाय विकास केंद्र (एफडीसी), आईपीआर अध्ययन केंद्र और अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से “आर्थिक विकास में बौद्धिक संपदा और नवाचार की भूमिका” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया।
डॉ. अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को एक विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के लिए वैश्विक जीडीपी में अपनी हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि करनी होगी। यह मानव संसाधनों को बौद्धिक संपदा में परिवर्तित करके और बौद्धिक संपदा अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करके ही प्राप्त किया जा सकता है।
डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि एक सशक्त बौद्धिक संपदा प्रणाली पांच प्रमुख स्तंभों पर टिकी है – रचनात्मकता, संरक्षण, प्रवर्तन, व्यावसायीकरण और जागरूकता। उन्होंने नवाचार-संचालित विकास को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। सतत विकास पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए, न कि विकास के नाम पर उनका दोहन किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ज्ञान के केंद्र होने से आगे बढ़कर नवाचार और उद्यमिता के केंद्र के रूप में विकसित होना चाहिए। उन्होंने “स्थानीय से वैश्विक” दृष्टिकोण अपनाते हुए अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को समाज और उद्योग से जोड़ने के महत्व पर बल दिया।
इस अवसर पर कुलपति ने एमडीयू में एक आईपीआर चेयर और एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन पहलों से संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं को अपने नवाचारों को पेटेंट, स्टार्टअप और वाणिज्यिक उत्पादों में परिवर्तित करने में मदद मिलेगी, जिससे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
इससे पहले, एफडीसी निदेशक प्रोफेसर मुनीश गर्ग ने स्वागत भाषण दिया, जबकि अनुसंधान एवं विकास डीन प्रोफेसर हरीश दुरेजा ने व्याख्यान के विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर दिव्या मलहान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजीव के कपूर ने प्रस्तुत किया। एफडीसी की उप निदेशक डॉ. माधुरी हुडा ने समन्वय में सहयोग दिया। इस कार्यक्रम में डीन, निदेशक, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, शोधार्थी और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

