चंडीगढ़, 7 जुलाई बाजरे की कटाई के बाद प्रबंधन, प्रसंस्करण और ब्रांडिंग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने बाजरा प्रसंस्करण इकाइयों के लिए “ब्याज छूट योजना” अधिसूचित की है। इस पहल का उद्देश्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय सहायता प्रदान करके बाजरा बाजार को मजबूत करना और किसानों की आजीविका में सुधार करना है।
अधिकतम सहायता 25 लाख रुपये प्रति वर्ष इस योजना के तहत प्रसंस्करण इकाइयों को 7 प्रतिशत प्रति वर्ष या वास्तविक भुगतान की गई ब्याज दर, जो भी कम हो, के रूप में ब्याज सहायता मिलेगी। बाजरा प्रसंस्करण के लिए एमएसएमई द्वारा लिए गए टर्म लोन पर प्रति वित्तीय वर्ष अधिकतम 25 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य बाजरा प्रसंस्करण इकाइयों (नई तथा विस्तार/विविधीकरण दोनों) को इन इकाइयों द्वारा लिए गए सावधि ऋणों पर ब्याज अनुदान प्रदान करके सहायता प्रदान करना है।
इस योजना के अंतर्गत प्रसंस्करण इकाइयों को 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान अथवा भुगतान की गई वास्तविक ब्याज दर, जो भी कम हो, के रूप में वित्तीय सहायता मिलेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के अनुसार विभिन्न प्रकार के उद्यमों को कवर करती है। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म उद्यम के मामले में संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 1 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए या एमएसएमई विकास अधिनियम, 2006 के तहत केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर संशोधित नियमों के अनुसार होना चाहिए।
इसी प्रकार, लघु उद्यम के मामले में संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और कारोबार 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि मध्यम उद्यम में संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और कारोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी बाजरा प्रसंस्करण एमएसएमई इकाइयां, जिन्होंने सहकारी बैंकों, सर्व हरियाणा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, नाबार्ड, सिडबी/ईएक्सआईएम, आरबीआई के विनियमन/तत्वावधान में अन्य वाणिज्यिक बैंकों जैसे वित्तीय संस्थानों से बाजरा प्रसंस्करण के लिए सावधि ऋण लिया है, इस योजना के लिए पात्र होंगी।