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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उठा आर्टिकल 370 की बहाली का मुद्दा, गोरखा समाज ने जताया विरोध

Issue of restoration of Article 370 raised in Jammu and Kashmir Assembly, Gorkha community expressed protest

जम्मू, 6 नवंबर । जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के विधायक वहीद पारा द्वारा आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के विरोध में प्रस्ताव पेश किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर अब गोरखा समाज के लोगों की प्रतिक्रिया आई है।

जम्मू-कश्मीर गोरखा समाज की अध्यक्ष करुणा छेत्री ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “विधानसभा सत्र के दौरान पीडीपी ने कहा कि आर्टिकल 370 को फिर से बहाल किया जाना चाहिए, लेकिन मेरा मानना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। पीडीपी केवल अपनी राजनीतिक सत्ता की रक्षा के बारे में सोच रही है, लेकिन उन्हें आम जनता के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्ची राजनीतिक पार्टी को आम लोगों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए, लेकिन पीडीपी ऐसा नहीं करती।”

उन्होंने आगे कहा, “गोरखा समाज को कई सालों तक अपने हकों से वंचित रहना पड़ा। कई सालों तक हमारे परिवारों और बच्चों ने अनगिनत मुश्किलों का सामना किया, लेकिन साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद हमें आखिरकार जम्मू-कश्मीर में अपने अधिकार मिल पाए। हमारे बच्चों को निवास और नौकरी का अधिकार मिला है। गोरखा समाज पीडीपी की मांग की निंदा करता है। राजनीतिक दल का काम सभी लोगों को एक साथ लेकर चलने का होता है, ना कि लोगों को बांटने का। पीडीपी को लोग जान चुके हैं, इसलिए उन्हें तीन सीट मिली है।”

जम्मू-कश्मीर गोरखा समाज के युवा अध्यक्ष मनीष अधिकारी ने कहा, “अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने से कई समुदायों को अधिकार मिले हैं। अगर अनुच्छेद 370 और 35ए को फिर से बहाल किया जाता है तो समाज के लोगों से सारे अधिकार छीन लिए जाएंगे। इससे पहले हमारे समाज को वंचित रखा गया था। अगर सरकार हमारे जैसे समुदायों- गोरखा, वाल्मीकि और पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के बारे में सोचती है तो उन्हें इन अनुच्छेदों को कभी बहाल नहीं करना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों ने हमारे साथ सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की है।”

गोरखा समाज से ताल्लुक रखने वाले कैप्टन दुर्गा सिंह अधिकारी ने कहा, “कई सालों तक आर्टिकल 370 और 35ए के तहत हमें दबाया गया। हमें वोट देने से लेकर सरकारी नौकरी तक के अधिकारों से वंचित रखा गया और हर क्षेत्र में हमें प्रताड़ित किया गया। अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद से हमने आखिरकार राहत की सांस ली है। मैं अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की कड़ी निंदा करता हूं और मेरा मानना है कि इसे कभी भी बहाल नहीं किया जाना चाहिए।”

स्थानीय निवासी मीना गिल ने पीडीपी के विधायक वहीद पारा के बयान की निंदा की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने जैसे बेवकूफाना सवालों पर बात करने के बजाय जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए प्रस्ताव पारित करना चाहिए था। जब उमर अब्दुल्ला खुद कह रहे हैं कि मेरे साथ कोई चर्चा नहीं हुई है तो इस मुद्दे को बेवजह क्यों विधानसभा में रखा गया। जब हम कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र है, तो हम कहते हैं कि यह एक लोकतांत्रिक समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष है। बार-बार यह लोगों को भ्रम में क्यों डाल रहे हैं कि हमें अनुच्छेद 370 वापस चाहिए। मैं इतना ही कहूंगी कि हमें इसकी जरूरत नहीं है।

स्थानीय निवासी थॉमस ने कहा, “आर्टिकल 370 और 35ए की बहाली की मांग को उठाना सही नहीं है। देश की महान संसद ने आर्टिकल 370 और 35ए को निरस्त किया था, लेकिन अब इसे वापस लाना सही नहीं है। पीडीपी दोहरा चरित्र दिखाती है और उनकी सियासत अब खत्म होती जा रही है। इसलिए वह ऐसे बयान दे रहे हैं।”

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