नायब सिंह सैनी सरकार बाढ़ नियंत्रण के मोर्चे पर बड़ी योजना बना रही है। बाढ़ की रोकथाम में समग्र दृष्टिकोण अपनाने के उद्देश्य से, राज्य सरकार आगामी मानसून सत्र की शुरुआत से पहले एकीकृत बाढ़ प्रबंधन और सूचना प्रणाली (आईएफएमआईएस) लागू कर रही है।
आईएफएमआईएस में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का व्यापक उपयोग शामिल है और इसका उद्देश्य बाढ़ की पूर्व चेतावनी को बढ़ाना, बाढ़ की तैयारी और आपदा प्रबंधन में सुधार करना है। संबंधित विभागों को 15 अप्रैल तक अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
अधिकारियों ने आशा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश और बिहार द्वारा बाढ़ नियंत्रण में लागू की गई सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर बनाई गई यह नई प्रणाली राज्य में बाढ़ को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित होगी, जो हर साल राज्य भर में जान-माल के साथ विनाशकारी साबित होती है।
‘जल-जमाव और मृदा-क्षरण को रोका जाएगा’ आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने से राज्य सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण और बाढ़ शमन के लिए अधिक प्रभावी नीतियां विकसित करने में सक्षम हो जाएगी। आईएफएमआईएस अत्यधिक जल-जमाव और मृदा क्षरण को रोककर पर्यावरण की रक्षा के लिए टिकाऊ बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों के विकास में भी सहायता करेगा।
सुमिता मिश्रा, वित्त आयुक्त, राजस्व नई प्रणाली बाढ़ की भेद्यता का पता लगाने के अलावा एक केंद्रीकृत सुलभ जीआईएस-आधारित डेटाबेस तैयार करेगी। यह नदी के व्यवहार की उपग्रह निगरानी और वास्तविक समय के मौसम संबंधी और हाइड्रोमेट्रिक डेटा संग्रह और वास्तविक समय के बाढ़ जलप्लावन मानचित्रण का भी काम करेगी। उन्नत बाढ़ मॉडलिंग तकनीकें भी इस प्रणाली का अभिन्न अंग होंगी।
इसके अलावा, राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनुमोदित बाढ़ सुरक्षा योजनाओं का प्रभाव आधारित मूल्यांकन भी इस प्रणाली में किया जाएगा।
अतिरिक्त गृह सचिव और वित्त आयुक्त, राजस्व सुमिता मिश्रा ने कहा, “डेटा आधारित निर्णय लेने से राज्य सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण और बाढ़ शमन के लिए अधिक प्रभावी नीतियां विकसित करने में सक्षम होगी। आईएफएमआईएस अत्यधिक जल-जमाव और मिट्टी के कटाव को रोककर पर्यावरण की रक्षा के लिए स्थायी बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों के विकास का भी समर्थन करेगा।”
इस बीच, हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में बाढ़ नियंत्रण के लिए 657.99 करोड़ रुपये की 352 योजनाओं को मंजूरी दे दी है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित मध्यम एवं दीर्घकालिक योजनाओं पर मई में होने वाली बाढ़ पूर्व समीक्षा बैठक के बाद विचार किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि बाढ़ नियंत्रण के लिए 619 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 302 योजनाओं पर काम चल रहा है।