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उम्मीद है स्किल-रेडी वर्कफोर्स देश को 2047 से पहले ही ‘विकसित भारत’ बना देगा: क्यूएस

It is expected that skill-ready workforce will make the country a 'developed India' before 2047: QS

भविष्य का स्किल-रेडी भारतीय वर्कफोर्स देश को 2047 से पहले ही ‘विकसित भारत’ बनाने की ओर ले जाने के लिए तैयार है। दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक उच्च शिक्षा नेटवर्क, यूके स्थित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के वरिष्ठ अधिकारियों ने आईएएनएस से बताया कि भारत उभरती टेक्नोलॉजी में डिमांड स्किल के लिए सबसे तैयार लेबर मार्केट में से एक बन गया है।

भारत को पहले ‘क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स’ में दूसरे नंबर पर रखा गया है, जो अमेरिका से थोड़ा पीछे और कनाडा और जर्मनी जैसे देशों से आगे है।

क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) के कार्यकारी निदेशक डॉ. अश्विन फर्नांडीस के अनुसार, लोगों को हमेशा भारत की क्षमता पर संदेह था और पहली बार, किसी ग्लोबल इंडेक्स ने भविष्य के काम के आधार पर भारत को इतना ऊंचा स्थान दिया है, जिसका मतलब है कि भारतीय इंडस्ट्री और इसके वर्कफोर्स भविष्य में नौकरी की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हैं।

फर्नांडीस ने आईएएनएस से कहा, “2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को ‘भविष्य के काम’ के लिए तैयार करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम पिछले 10 वर्षों में देख चुके हैं कि किस तरह नीतियों ने भारत को ‘ब्रेन ड्रेन’ की स्थिति से ‘ब्रेन गेन’ की स्थिति में बदल दिया है।”

उन्होंने जोर देकर कहा, “हमने देखा है कि आज भारत न केवल ग्लोबल साउथ के लीडर के रूप में स्थापित है, बल्कि अपने प्रवासियों के साथ एक सक्रिय स्थिति भी बना रहा है, जो दुनिया भर के वर्कफोर्स में बेहतरीन स्थान रखते हैं।

दुनिया भर में भारत के प्रवासियों ने कई देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बदलने में मदद की है और अब ‘ब्रेन गेन’ के साथ, हम अर्थव्यवस्था को और बेहतर होते देखेंगे।

यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ और 2047 तक विकसित भारत बनने का एक नया समय है। उम्मीद है कि 2047 से बहुत पहले ही भारत विकसित बन जाएगा।”

‘क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स’ ने भारत को उभरती टेक्नोलॉजी में भविष्य में डिमांड वाले स्किल के लिए सबसे तैयार लेबर मार्केट में से एक के रूप में स्थान दिया है।

क्यूएस की सीईओ जेसिका टर्नर ने कहा कि पिछले दशक में भारत का स्किलिंग मिशन वास्तव में परिवर्तनकारी रहा है।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, “स्किल्स इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे इनिशिएटिव्स ने वास्तव में लाखों भारतीयों को रेलेवेंट लिटरेसी के साथ सशक्त बनाया है, शिक्षा और रोजगार के बीच कुछ अंतर को पाटा है और वास्तव में डिजिटल रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया है। साथ ही उद्यमिता और वोकेशनल ट्रेनिंग आदि पर ध्यान केंद्रित किया है।”

उनके अनुसार, एआई और सेमीकंडक्टर जैसी उभरती हुई टेक्नोलॉजी वास्तव में भारत के लिए जीडीपी ड्राइवर बनने के लिए तैयार हैं और उन क्षेत्रों में निवेश इनोवेशन को प्रोत्साहित करने जा रहा है।

टर्नर ने कहा, “यह वास्तव में देश में कुछ मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ावा दे रहा है और बहुत सारे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित कर रहा है। हमारा मानना है कि अकेले एआई अपनाने से इस साल भारत के जीडीपी में लगभग 500 बिलियन डॉलर जुड़ सकते हैं और यह वास्तव में उत्पादकता लाभ के माध्यम से है।”

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