जम्मू जिले में लगातार भारी बारिश के कारण बाढ़ और जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके बाद जिला प्रशासन, जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर त्वरित बचाव अभियान चलाया। इस अभियान के तहत 3500 से अधिक लोगों को प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
प्रशासन का मुख्य ध्यान संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को निकालने, उन्हें अस्थायी आश्रय, भोजन, स्वच्छ पानी और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को बहाल करने पर है।
आरएस पुरा में 85 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। परगवाल के हमीरपुर कोना और गुजराल गांव से 347 निवासियों को अखनूर और जम्मू में स्थानांतरित किया गया। उत्तर जम्मू की नई बस्ती और लोअर मुठी से 160 लोगों को मुठी के कैलाश रिसॉर्ट्स में शरण दी गई, जहां लंगर की व्यवस्था की गई है। नगरोटा में 100 लोगों को कोंडोली मंदिर ले जाया गया, और मरम्मत दल राजमार्गों से मलबा हटाकर आपातकालीन सेवाओं के लिए मार्ग खोल रहे हैं।
सुचेतगढ़ के बदयाल कजियां और टिब्बा बैंस में मकान ढहने के बाद दो परिवारों के 15 सदस्यों को बचाया गया। जम्मू के इंद्र नगर और बल्लोल में 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया, कुछ को बृज नगर में स्थानांतरित किया गया। सित्तरियाला में 45 लोगों को निकालकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जौरियां में राहत शिविर स्थापित किया गया। सतवारी में 300 निवासियों को एचएसएस सतवारी में स्थानांतरित किया गया, जहां सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन और पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
खौर और परगवाल में इंद्री, मान चक, बकोरे, हमीरपुर कोना और गजराल से 500 से अधिक लोगों को बचाया गया। खौर में 48 लोगों को सरकारी हाई स्कूल गर्खल और 50 लोगों को सामुदायिक भवन गर्खल में रखा गया है। जिला प्रशासन ने यूथ हॉस्टल जम्मू सहित कई राहत शिविर स्थापित किए हैं। मुथी और सतवारी में सामुदायिक रसोई संचालित हो रही हैं, और सभी राहत स्थलों पर चिकित्सा दल तैनात हैं।
उपायुक्त डॉ. राकेश मिन्हास ने प्रभावित परिवारों की सुरक्षा और राहत सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और स्वयंसेवकों के समन्वित प्रयासों की सराहना की, जिनके कारण कोई जनहानि नहीं हुई। स्थिति पर नजर रखी जा रही है और राहत कार्यों की प्रगति के साथ और जानकारी साझा की जाएगी।