जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्तपोषित हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण संवर्धन परियोजना (चरण II) के अंतर्गत, जिला परियोजना प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू), मंडी, उत्पादकता और स्थिरता में सुधार के लिए किसानों को आधुनिक और वैज्ञानिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है।
इस पहल के एक भाग के रूप में, डीपीएमयू ने चालू रबी सीज़न के दौरान एफआईएस कसारला के किसानों के लिए सीड ड्रिल मशीन से गेहूँ और मटर की बुवाई का एक व्यावहारिक प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक कृषि विधियों के लाभों से परिचित कराना था। इसी प्रकार, ब्लॉक परियोजना प्रबंधन इकाई (बीपीएमयू), गोहर ने गढ़ीमन-मझोठी और एफआईएस सुरथी-थाची क्षेत्रों में मटर की बुवाई का प्रदर्शन किया। किसानों को सीड ड्रिल मशीन की कार्यप्रणाली की जानकारी दी गई और इसके संचालन का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।
ज़िला परियोजना प्रबंधक, डॉ. हेम राज वर्मा ने पारंपरिक तरीकों की तुलना में सीड ड्रिल से बुवाई के फ़ायदों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हाथ से बुवाई की तुलना में, सीड ड्रिल से लगभग 20-25 प्रतिशत बीज की बचत होती है, श्रम और समय कम होता है और अंकुरण भी अधिक समान होता है।”
कार्यक्रम के दौरान, कृषि विशेषज्ञों ने बीज उपचार, उर्वरक प्रबंधन और पंक्तिबद्ध बुवाई के लाभों पर भी मार्गदर्शन प्रदान किया। किसानों ने इस पहल की सराहना की और अपने तकनीकी ज्ञान को सुदृढ़ करने तथा कृषि दक्षता बढ़ाने के लिए ऐसे प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित करने का आग्रह किया।
जेआईसीए समर्थित परियोजना का उद्देश्य राज्य भर के किसानों के लिए उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों, टिकाऊ खेती के तरीकों और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को शुरू करके राज्य में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना है।

