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झारखंड हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति से जुड़े केस में जेपीएससी पर लगाया एक लाख का जुर्माना

Jharkhand High Court imposed a fine of Rs 1 lakh on JPSC in a case related to the appointment of assistant professor

झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति से जुड़े एक मामले में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की अपील याचिका (एलपीए) खारिज करते हुए उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

कोर्ट ने इस मामले में सिंगल बेंच द्वारा अभ्यर्थी मनोज कुमार कच्छप को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त करने के फैसले को भी बरकरार रखा है।

2018 में जेपीएससी की ओर से नागपुरी भाषा के असिस्टेंट प्रोफेसर के चार पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। मनोज कुमार कच्छप ने इसके लिए आवेदन किया था। आवेदकों के दस्तावेजों की स्क्रूटनी हुई तो कुल निर्धारित 85 प्वाइंट्स में से मनोज को 72.10 प्वाइंट्स प्राप्त हुए थे, लेकिन इसके बाद जब साक्षात्कार आयोजित हुआ तो अभ्यर्थियों की लिस्ट में उनका नाम नहीं था। उसने कारण जानना चाहा तो पता चला कि आवेदन करते हुए उसने जो ऑनलाइन फीस जमा की थी, वह तकनीकी कारणों से जेपीएससी के अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुई थी।

जेपीएससी ने फीस की राशि जमा नहीं होने की वजह से उनकी उम्मीदवारी को अमान्य कर दिया था। इस पर मनोज कुमार कच्छप ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के सिंगल बेंच ने जेपीएससी से उसे इंटरव्यू में शामिल कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा था कि उसका निर्णय अंतिम आदेश से प्रभावित होगा।

आदेश के अनुसार, जेपीएससी ने मनोज को इंटरव्यू में शामिल कराया। 23 दिसंबर 2021 को इंटरव्यू का रिजल्ट जारी किया गया, लेकिन कोर्ट के आदेश के आलोक में आयोग ने एक पद पर रिजल्ट रोक दिया था। बाद में कोर्ट ने जेपीएससी से मनोज का मार्क्सशीट सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इससे पता चला कि वह उस पूरी परीक्षा में सबसे ज्यादा नंबर लाने वाला अभ्यर्थी है।

इसके बाद कोर्ट ने उसे रिक्त पद पर चार हफ्ते में नियुक्त करने का आदेश देते हुए कहा कि तकनीकी खामी की वजह से फीस भले नहीं जमा हो पाई, लेकिन इस वजह से योग्य अभ्यर्थी की नियुक्ति का अधिकार नहीं छीना जा सकता।

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि कुछ परीक्षाओं में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क नहीं लिया जाता। जेपीएससी ने सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील की थी। इस पर सुनवाई के दौरान जेपीएससी की ओर से दलील दी गई कि परीक्षा में सभी उम्मीदवारों के लिए फीस जमा करना अनिवार्य है। मनोज कुमार कच्छप की फीस जेपीएससी के अकाउंट में नहीं आई, इसलिए उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई।

दूसरी तरफ, मनोज कुमार कच्छप की ओर से उनके अधिवक्ता सव्यसाची ने कहा कि जेपीएससी की रिजेक्शन लिस्ट में उसका नाम नहीं था, ऐसे में वह कहां से जान पाता कि उसकी फीस जेपीएससी के पास जमा नहीं हो पाई है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा।

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