न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने एक सादे समारोह में पद की शपथ दिलाई, जिसमें वर्तमान और सेवानिवृत्त न्यायाधीश, नौकरशाह, बार के सदस्य और उनके परिवार के लोग शामिल हुए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय से स्थानांतरित होकर, न्यायमूर्ति मिश्रा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बाद पहले सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। यह स्थानांतरण सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा 26 मई को की गई अनुशंसा के अनुरूप है।
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 14 जुलाई की एक अधिसूचना के माध्यम से देश भर के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीशों के कई तबादलों और नियुक्तियों को मंज़ूरी दी थी। इस अधिसूचना के तहत, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों—न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा, न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति सुधीर सिंह—को क्रमशः राजस्थान, दिल्ली और पटना उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित किया गया।
56 वर्षीय न्यायमूर्ति मिश्रा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक की पढ़ाई की और फिर उसी विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने 8 मई, 1993 को बार में दाखिला लिया।
वर्षों तक उन्होंने सिविल, संवैधानिक और सेवा कानून में विशेषज्ञता हासिल की और नोएडा, गाजियाबाद और इलाहाबाद के विकास प्राधिकरणों सहित कई वैधानिक प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व किया।
उन्हें 2013 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। 3 फरवरी, 2014 को उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1 फरवरी, 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी पुष्टि की गई।
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