करनाल, 24 अगस्त कैथल विधानसभा क्षेत्र हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है, जहाँ विभिन्न दलों के प्रतिनिधि देखे गए हैं, अब तक हुए 13 चुनावों में से छह बार कांग्रेस विजयी रही है। दो बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने सीट जीती है, जबकि जनता पार्टी, समता पार्टी, लोकदल, आईएनएलडी और भाजपा ने एक-एक बार सीट जीती है।
कांग्रेस के कई नेता इस सीट पर तीन बार जीत चुके हैं, जिनमें राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला शामिल हैं। रणदीप ने 2009 और 2014 में दो बार जीत दर्ज की, जबकि उनके पिता ने 2005 में जीत दर्ज की। इसके अलावा, कांग्रेस नेता ओम प्रभा ने 1967 और 1968 में दो बार जीत दर्ज की।
1972 में, स्वतंत्र उम्मीदवार चरण दास ने सीट जीती, इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार रघुनाथ और 1982 में स्वतंत्र उम्मीदवार रोशन लाल ने जीत हासिल की। सुरेन्द्र कुमार ने 1987 में लोकदल के टिकट पर और फिर 1991 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की।
1996 के चुनाव में समता पार्टी के उम्मीदवार चरण दास ने यह सीट जीती और 2000 में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के उम्मीदवार लीला राम ने इस सीट से सफलता का स्वाद चखा।
2019 का चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब भाजपा ने पहली बार यह सीट जीती। इसके उम्मीदवार लीला राम ने कांग्रेस उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला को 1,246 मतों के अंतर से हराया।
यह हार कांग्रेस के लिए एक झटका थी, जिसने लगातार तीन बार इस सीट पर कब्जा किया था।
आगामी चुनावों में सुरजेवाला की वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं, क्योंकि वे पिछले कुछ महीनों से यहां डेरा डालकर सक्रिय रूप से क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, हालांकि उन्होंने टिकट के लिए औपचारिक रूप से आवेदन नहीं किया है। हालांकि, उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी नेतृत्व पर छोड़ दिया है।
अभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक जानकारों को इस चुनाव में भी कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। कैथल सीट के लिए भाजपा की ओर से टिकट चाहने वालों की लंबी सूची है, जिसमें मौजूदा विधायक लीला राम, हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत, हरियाणा प्रदेश राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा और कैथल नगर समिति की चेयरमैन सुरभि गर्ग शामिल हैं। इसके अलावा आप, इनेलो और जेजेपी के टिकट के भी दावेदार हैं।
आरकेएसडी कॉलेज कैथल में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विशेषज्ञ अशोक अत्री ने कहा, “कैथल सभी राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण युद्धक्षेत्र रहा है। आगामी चुनाव यह निर्धारित करेगा कि कांग्रेस अपना गढ़ फिर से हासिल कर पाती है या भाजपा अपनी स्थिति बरकरार रख पाती है। इसके अलावा, यह चुनाव दिखाएगा कि क्या आईएनएलडी, जेजेपी और आप अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाते हैं। यह कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला लगता है और यह दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है।”