पालमपुर, 10 जून कांगड़ा जिले के दो दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों के मालिक हिमकेयर योजना के तहत कैशलेस चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए राज्य सरकार से 70 करोड़ रुपये की बकाया राशि पाने के लिए पिछले छह महीनों से इधर-उधर भटक रहे हैं।
पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई हिमकेयर योजना हिमकेयर योजना को 2020 में विधानसभा चुनाव से पहले पिछली भाजपा सरकार द्वारा बड़े धूमधाम से पेश किया गया था।
यह योजना राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है और इसके तहत कोई भी व्यक्ति राज्य के निजी या सरकारी अस्पतालों तथा पीजीआई चंडीगढ़ में एक वर्ष में 5 लाख रुपये तक का चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सकता है।
बाद में, सरकार मरीजों को कैशलेस सेवाएं प्रदान करने के लिए योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों को राशि की प्रतिपूर्ति करती है। जानकारी के अनुसार कांगड़ा का एक अस्पताल 13 करोड़ रुपए के भुगतान का इंतजार कर रहा है।
बार-बार याद दिलाने के बावजूद सरकार ने अभी तक फंड जारी नहीं किया है। हिमकेयर योजना के तहत, राज्य के निजी अस्पतालों के प्रति सरकार की कुल देनदारी 350 करोड़ रुपये है।
भुगतान में देरी के कारण निजी अस्पतालों को हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजनाओं को लागू करने में दिक्कत आ रही है। इनमें से कई अस्पतालों ने बकाया भुगतान के लिए राज्य सरकार को नोटिस दे दिया है। – डॉ. नरेश वर्मानी, अध्यक्ष, निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम एसोसिएशन
द ट्रिब्यून द्वारा जुटाई गई जानकारी से पता चलता है कि वर्तमान में, राज्य सरकार को कांगड़ा जिले में हिमकेयर योजना के तहत निजी अस्पतालों और रोगी कल्याण समितियों (आरकेएस) को 70 करोड़ रुपये का भुगतान करना बाकी है। इसी तरह, आयुष्मान भारत योजना के तहत, राज्य सरकार ने अपना 10 प्रतिशत हिस्सा जारी नहीं किया है, जिसके बाद केंद्र ने भी अपने शेष 90 प्रतिशत हिस्से के अनुसार धन आवंटित नहीं किया है।
हिमकेयर योजना को पिछली भाजपा सरकार ने 2020 में विधानसभा चुनाव से पहले बहुत धूमधाम से पेश किया था। यह राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित है और इसके तहत कोई भी व्यक्ति राज्य के निजी या सरकारी अस्पतालों और पीजीआई चंडीगढ़ में एक साल में 5 लाख रुपये तक का इलाज करा सकता है। बाद में सरकार मरीजों को कैशलेस सेवाएं प्रदान करने के लिए योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों को राशि वापस कर देती है।
जानकारी के अनुसार, कांगड़ा में एक अस्पताल को 13 करोड़ रुपए के भुगतान का इंतजार है। निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नरेश वर्मानी ने कहा, “भुगतान में देरी के कारण निजी अस्पतालों को इन दो सरकारी योजनाओं को लागू करने में मुश्किल हो रही है। इनमें से कई अस्पतालों ने पहले ही राज्य सरकार को अपना बकाया चुकाने के लिए नोटिस दे दिया है। निजी अस्पतालों ने सरकार से कहा है कि अगर उन्हें भुगतान नहीं मिला तो वे हिमकेयर योजना के तहत सेवाएं बंद कर देंगे।”
पालमपुर स्थित विवेकानंद मेडिकल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. विमल दुबे ने कहा, “बिलों की प्रतिपूर्ति न होने से निजी अस्पतालों के लिए इन दोनों योजनाओं के तहत इलाज करना मुश्किल हो गया है। हम कर्मचारियों का वेतन देने और दवाओं का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं। अगर बिलों का भुगतान नहीं किया गया तो हमें इन दोनों योजनाओं के तहत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना बंद करना पड़ेगा।” अस्पताल को राज्य सरकार से 13 करोड़ रुपये मिलने का इंतजार है।
हिमाचल प्रदेश में इन दो प्रमुख योजनाओं के तहत धन के क्रियान्वयन और रिलीज की देखरेख करने वाले देवेंद्र कुमार ने कहा कि निजी अस्पतालों के भुगतान के लिए धन की व्यवस्था करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तथ्यों से अच्छी तरह वाकिफ हैं और जल्द से जल्द देनदारियों को चुकाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य के निजी अस्पतालों को 350 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जाना बाकी है।
Leave feedback about this