कर्नाटक के बेलगावी जिले के किट्टूर रानी चेनम्मा मिनी जू में काला हिरणों की रहस्यमयी मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। सोमवार को एक और ब्लैकबक की मौत के बाद संख्या बढ़कर 30 हो गई है। शेष बचे कुछ हिरणों को कड़ी निगरानी में रखा गया है और उनकी लगातार मेडिकल मॉनिटरिंग जारी है।
पिछले चार दिनों में 30 ब्लैकबक की मौत ने वन विभाग और पशु चिकित्सकों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हेमोरैजिक सेप्टीसीमिया (एचएस) नामक घातक बैक्टीरियल संक्रमण की पुष्टि हुई है, जो हिरणों जैसे शाकाहारी जानवरों में तेजी से फैलने वाला रोग माना जाता है।
जू प्रबंधन के मुताबिक, मौतों का कारण एक बड़े पैमाने पर फैला संक्रमण है, जो कोरोना महामारी जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। हालांकि, यह सिर्फ जानवरों में फैलने वाला संक्रमण है।
इस बीच, काला हिरणों की संदिग्ध मौतों को लेकर लोगों में भारी नाराज़गी है। बेलगावी ही नहीं, बल्कि पड़ोसी जिलों और महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में पर्यटक इन हिरणों को देखने आते थे।
वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं और चेतावनी दी है कि अगर वनकर्मियों या जू स्टाफ की लापरवाही पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
तीन ब्लैकबकों का दूसरा पोस्टमॉर्टम बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क से आए दो विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने रविवार को किया। टीम ने हिरणों को पिछले एक सप्ताह में दी गई खुराक के नमूने भी एकत्र किए हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि अगर शुरुआती लक्षणों को समय रहते पहचाना जाता और संक्रमित हिरणों को तुरंत अलग किया जाता, तो मौत का आंकड़ा इतना बड़ा नहीं होता। नियमित स्वास्थ्य जांच और शुरुआती प्रतिक्रिया में ढिलाई को बड़ी लापरवाही माना जा रहा है।
काला हिरणों को करीब चार से पांच वर्ष पहले गदग जू से लाया गया था। इनकी उम्र वर्तमान में चार से छह वर्ष के बीच थी। लगातार बढ़ती मौतों और अधिकारियों के विरोधाभासी बयानों ने मामले को और संदिग्ध बना दिया है। फिलहाल, संक्रमण और विभागीय लापरवाही की जांच जारी है।


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