N1Live National बजट में कर्नाटक को नहीं मिला कोई फंड, बकाया को लेकर वित्त मंत्री का दावा झूठा : सिद्दारमैया
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बजट में कर्नाटक को नहीं मिला कोई फंड, बकाया को लेकर वित्त मंत्री का दावा झूठा : सिद्दारमैया

Karnataka did not get any funds in the budget, Finance Minister's claim regarding dues is false: Siddaramaiah

मैसूर, 29 जुलाई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस दावे का जवाब दिया कि केंद्र पर राज्य का कोई बकाया नहीं है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री के दावे को झूठा करार दिया है।

सीएम सिद्दारमैया ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि बजट में राज्य को कोई फंड क्यों नहीं दिया गया। सीतारमण झूठ बोल रही थीं जब उन्होंने कहा कि यूपीए कार्यकाल के दौरान आवंटित किए गए फंड की तुलना में पिछले दस सालों में राज्य को अधिक केंद्रीय फंड मिला है।

सिद्दारमैया ने कहा, एक प्री-बजट बैठक बुलाई थी, जहां हमने केंद्र से अपर भद्रा परियोजना के लिए 5,300 करोड़ रुपये का अनुदान देने को कहा, जिसकी घोषणा उन्होंने खुद की थी। क्या यह बजट में है?

उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने 5,495 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान प्रदान करने की सिफारिश की थी। क्या यह बजट में है? पेरिफेरल रिंग रोड के लिए 3,000 करोड़ रुपये मिलने थे। जल निकायों के विकास के लिए 3,000 करोड़ बजट का प्रावधान था। क्या यह बजट में है?

उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश और बिहार को अनुदान दिया। उन्होंने कर्नाटक को क्या दिया? केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और एच.डी. कुमारस्वामी कम से कम हमें आश्वस्त तो कर सकते थे। सीतारमण कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य हैं। कुमारस्वामी केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री हैं। क्या मांड्या में कोई नया उद्योग आया? क्या हमें कम से कम एक औद्योगिक कॉरिडोर मिला? उन्होंने न तो मेकेदातु परियोजना की घोषणा की और न ही हमारे द्वारा मांगे गए अनुदान का सम्मान किया।

हमने रायचूर के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की मांग की थी। क्या इसका कोई उल्लेख है? हमने मैसूरु या हासन में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की मांग की थी। क्या इसे मंजूरी दे दी गई? उन्होंने क्या दिया है?

पिछली बार जब निर्मला सीतारमण आई थी तो उन्होंने झूठ बोला था। वह अब भी झूठ बोल रही हैं। उनका दावा है कि उन्होंने राज्य को इतना अनुदान दिया, यह गलत है।

उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक से उद्योग भाग रहे हैं। दरअसल, हमारे देश में एफडीआई निवेश 31 प्रतिशत कम हो गया है। गिरावट क्यों हुई? यह उनकी नीतियों के कारण है। यह कोई और नहीं बल्कि निर्मला सीतारमण हैं जो नीतियां बनाती हैं।

महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक दूसरा सबसे ज्यादा टैक्स कमाने वाला देश है। हमें जो हिस्सेदारी मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली। इसलिए हमने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया। सिर्फ कर्नाटक ही नहीं, तमिलनाडु, तेलंगाना और गैर-भाजपा शासित राज्यों ने भी इसमें भाग नहीं लिया। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हिस्सा लिया लेकिन अपनी बात कहने का समय न मिलने के कारण वह बाहर चली गईं।

हमने जीडीपी की निर्धारित सीमा के अंदर ही कर्ज लिया है। क्या उन्होंने इसका पालन किया? उन्होंने इस साल भारी भरकम 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।

दरअसल कर्नाटक सरकार पर “उद्योगों के राज्य से पलायन” और महंगाई को लेकर निशाना साधते हुए सीतारमण ने रविवार को दावा किया था कि “यह पूरी तरह से झूठ है। कर्नाटक सरकार गलत प्रचार कर रही है। यहां तक ​​कि कर्नाटक के लोगों को भी तथ्यात्मक जानकारी नहीं मिल रही है।

कर्नाटक को केंद्रीय निधि के हस्तांतरण पर प्रकाश डालते हुए सीतारमण ने कहा था, “2004-2014 के बीच, जब दिल्ली में यूपीए सरकार सत्ता में थी, कर्नाटक को केवल 18,791 करोड़ मिले। 2014-24 के बीच, पीएम मोदी के शासन में, राज्य को 2,95,818 करोड़ मिले।”

सीतारमण ने कहा, “कर्नाटक को यूपीए शासन के दौरान 10 वर्षों में भारत सरकार से अनुदान के रूप में 67,779 करोड़ रुपये मिले। पीएम मोदी के शासन में 2014 से 2024 के बीच 2,36,955 करोड़ रुपये मिले।”

उन्होंने कहा, “वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कर हस्तांतरण के संबंध में राज्य को 45,485 करोड़ दिए गए हैं। अगर मैं तुलना करूं, तो यूपीए के समय यह 8,179 करोड़ प्रति वर्ष था। इस वर्ष अकेले 45,585 करोड़ आवंटित किए गए।”

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “इसी तरह, यूपीए शासन के दौरान राज्य को अनुदान सहायता के रूप में प्रति वर्ष केवल 6,077 करोड़ दिए गए थे। इस साल अकेले हम कर्नाटक को 15,300 करोड़ दे रहे हैं।”

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