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कर्नाटक ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ‘नीट’ से मांगी छूट, विधानसभा में प्रस्ताव पारित

Karnataka seeks exemption from NEET for admission in medical colleges, resolution passed in Assembly

बेंगलुरु, 25 जुलाई । कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ और नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं के विरोध में प्रस्ताव पारित किये गये। सरकार ने केंद्र से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट की अनिवार्यता से छूट की मांग की है।

इसके अलावा, केंद्र से मांग की गई है कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए नीट की अनिवार्यता से छूट प्रदान की जाए और उसकी जगह कर्नाटक सरकार ने केंद्र से राज्य सरकार द्वारा आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट प्रणाली को फिर से लागू करने की मांग की है।

प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि यदि हम परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता चाहते हैं, तो कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को दोबारा विकसित करना होगा। इससे परीक्षार्थियों का परीक्षा के प्रति विश्वास बढ़ेगा।

प्रस्ताव में कहा गया है कि नीट यूजी परीक्षा में हुई अनियमितता ने आर्थिक रूप से कमजोर तबके के विद्यार्थियों के लिए मेडिकल की पढ़ाई करने की राह दूभर कर दी है। इससे राज्य सरकार से संबद्ध मेडिकल कॉलेजों में भी छात्रों के लिए दाखिले का मार्ग दूभर होगा। इसलिए, हमारी सरकार केंद्र से मांग करती है कि मौजूदा परीक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम उठाए जाएं, ताकि सभी छात्रों को शिक्षा का समान अवसर उपलब्ध हो सके।

प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार को तुरंत राज्य को इस परीक्षा से छूट देनी चाहिए और कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए छात्रों के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

‘एक देश, एक चुनाव’ के विरोध में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि यह व्यवस्था देश की लोकतांत्रिक और संघीय प्रणाली के लिए खतरा है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं की अपनी सीमाएं और शर्तें होती हैं। यदि इस तरह की व्यवस्था को जमीन पर उतारने का प्रयास करेंगे, तो निस्संदेह स्थानीय स्तर पर लोगों के हितों पर कुठाराघात होगा। बहुत मुमकिन है कि लोकतंत्र के सिद्धांतों को भी ठेस पहुंचे।

राज्य सरकार ने केंद्र से मांग की है कि इस व्यवस्था को जमीन पर उतारने से परहेज करे, क्योंकि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है।

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