सोलन, 5 जून शिमला लोकसभा सीट पर सोलन जिले ने एक बार फिर निर्णायक भूमिका निभाई, जहां भाजपा उम्मीदवार सुरेश कश्यप ने 52,106 वोटों की सबसे अधिक बढ़त हासिल की और आसानी से जीत दर्ज की। उन्होंने यह सीट 90,548 वोटों के अंतर से जीती।
हालांकि, कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार और कसौली से निवर्तमान विधायक अपने गृह क्षेत्र में बढ़त भी हासिल नहीं कर सके, जहां भाजपा को 3,360 वोट मिले।
हालांकि शिमला लोकसभा सीट के 17 विधानसभा क्षेत्रों में कसौली ने 76.14 प्रतिशत मतदान के साथ दूसरा सबसे अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया था, लेकिन यह इसके मौजूदा विधायक के पक्ष में काम करने में विफल रहा।
शिमला लोकसभा में सोलन, सिरमौर और शिमला तीन जिले शामिल हैं। सुल्तानपुरी सभी राउंड में पिछड़ गए क्योंकि उन्हें कोई बढ़त नहीं मिल पाई और उन्हें बमुश्किल 24,277 वोट मिले, जबकि भाजपा के मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप को 27,737 वोट मिले। हालांकि सोलन जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कसौली भाजपा के लिए सबसे कम उत्पादक साबित हुआ, लेकिन इससे कांग्रेस को बढ़त हासिल करने में मदद नहीं मिली।
इसके दो मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) – अर्की से संजय अवस्थी और दून से रामकुमार चौधरी – का प्रदर्शन और भी खराब रहा। अर्की से भाजपा को 15,484 वोटों की बढ़त मिली, जबकि दून में उसे 13,082 वोटों की आरामदायक बढ़त मिली।
सोलन सीट पर सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री डीआर शांडिल काबिज हैं, लेकिन कांग्रेस यहां भी 5,016 वोटों से पीछे रही।
नालागढ़ सीट पर निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर, जो भाजपा के बागी थे, काबिज हैं। कांग्रेस 15,164 वोटों से पीछे है। एकजुट प्रचार अभियान की कमी के कारण कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने में विफल रही और कई बूथों पर तो पोलिंग एजेंट तक की कमी का सामना करना पड़ा, जो प्रचार के प्रति पार्टी के अधूरे दृष्टिकोण को दर्शाता है।
पार्टी अपने उम्मीदवार के गृह क्षेत्र कसौली में उचित बूथ स्थापित करने में विफल रही। सनावर मतदान केंद्र के पास खड़ी कार पर लगे बैनर पार्टी के बूथ के रूप में काम आए। पार्टी पदाधिकारियों द्वारा मतदाताओं से संपर्क न किए जाने के कारण घर-घर जाकर प्रचार नहीं किया गया।
कुनिहार में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैली के विपरीत, कांग्रेस ने सोलन में अपनी राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का रोड शो आयोजित किया। हालांकि, यह पार्टी कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने में विफल रहा, जिससे जिले में कहीं भी बढ़त हासिल नहीं हो सकी। सोलन जिले से कांग्रेस के पांच में से चार विधायक हैं, जिनमें सबसे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री और दो सीपीएस शामिल हैं।
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