नई दिल्ली, हरी मेज पर बिखरी रंग-बिरंगी गेंदें, हाथों में थामा हुआ क्यू, और सामने एक चुनौती। बिलियर्ड्स, एक ऐसा खेल है जो न सिर्फ आपके कौशल की परीक्षा लेता है, बल्कि आपकी एकाग्रता को भी परखता है। जब क्यू की नोक गेंद को छूती है, और गेंद एक निश्चित दिशा में आगे बढ़ती है, तो शुरू होता है बिलियर्ड्स का रोमांचक सफर।
एक ऐसा खेल, जिसमें हर चाल के साथ नई संभावनाएं खुलती हैं। इस खेल की बात आते ही पंकज आडवाणी का नाम जेहन में उभरता है। जिन्होंने 7 सितंबर के दिन विश्व प्रोफेशनल बिलियडर्स का खिताब जीता था।
पंकज ने यह उपलब्धि साल 2009 में हासिल की थी। उसके बाद से उनका सफर भी बहुत आगे बढ़ चुका है। आज वह एक लीजेंड हैं। पंकज बिलियर्ड्स और स्नूकर के पर्याय हैं। अगर आपको यकीन नहीं होता, तो गूगल ट्रांसलेटर पर ‘क्यूइस्ट’ शब्द का हिंदी में मतलब देखिए; आपको ‘आडवाणी’ ही जवाब मिलेगा!
पंकज इतने खास कैसे हैं? इसके लिए सबसे पहले, बिलियर्ड्स और स्नूकर के बीच के अंतर को समझना जरूरी है। ये दोनों एक जैसे लग सकते हैं। लेकिन खेलने का तरीका, सोच और हुनर में बड़ा फर्क है।
यहां तक कि क्यू चलाने का तरीका भी अलग है। बिलियर्ड्स में शुरू से आखिर तक क्यू को आगे बढ़ाना होता है, जबकि स्नूकर में क्यू को थोड़ा ही आगे और पीछे करना होता है। बहुत कम खिलाड़ी दोनों खेलों में महारत हासिल कर पाते हैं, लेकिन आडवाणी ने दोनों में कमाल दिखाया है और वो भी बड़े स्तर पर।
पंकज आडवाणी की जिंदगी मुश्किलों से शुरू हुई थी। उनका बचपन कुवैत में बीता लेकिन महज दो साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया। चार साल बाद, खाड़ी युद्ध के दौरान उनके परिवार को देश छोड़कर भागना पड़ा। वे बेंगलुरु आ गए और यहीं से उन्हें अपना पहला मौका मिला।
तब पंकज के बड़े भाई श्री बिलियर्ड्स खेलते थे और रंगीन गेंदों ने पंकज का ध्यान अपनी ओर खींचा। तब यह महज एक बच्चे का रंग-बिरंगी गेंदों के लिए आकर्षण था। लेकिन यह पंकज की दिनचर्या का हिस्सा बन गया। 10 साल की उम्र में वह इस खेल के नियम और तकनीक सीखने की कोशिश कर रहे थे।
जल्द ही पंकज ने इस खेल को खुद को पूरी गंभीरता से झोंक दिया। इन सब मेहनत का नतीजा था कि पंकज ने अपने 12वें जन्मदिन से कुछ महीने पहले ही जूनियर राष्ट्रीय बिलियर्ड्स खिताब जीत लिया था। इसके बाद उनका सफर रुका नहीं। वह एमेच्योर बिलियर्ड्स और स्नूकर विश्व चैंपियनशिप जीत चुके थे।
उन्होंने अपना पहला विश्व खिताब 2003 में चीन में आयोजित वर्ल्ड एमेच्योर स्नूकर चैंपियनशिप में जीता था। इसके बाद 2005 में माल्टा में वर्ल्ड एमेच्योर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप जीती। आडवाणी ने 2006 में दोहा में आयोजित एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता था। 7 सितंबर को पंकज ने जब विश्व प्रोफेशनल बिलियडर्स का खिताब जीता था तब वह 24 साल के थे। इस जीत के बड़े मायने हैं।
इस दिन पंकज आडवाणी इतिहास रचते हुए विश्व प्रोफेशनल बिलियर्ड्स चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय बने थे। भारत में क्रिकेट प्रेमी देश में बिलियर्ड्स आमतौर पर एक अभिजात्य खेल माना जाता है। लेकिन 7 सितंबर को पंकज की इस शानदार जीत के बाद यह खेल और अधिक लोकप्रिय बन गया था।
तब आडवाणी ने नौ बार के विजेता कतर के माइक रसेल को 2030-1253 के बड़े अंतर से हराकर सबको चौंका दिया था। यह पंकज का पहला प्रोफेशनल बिलियर्ड्स विश्व खिताब था। उनसे पहले 1992 में गीत सेठी ने यह खिताब जीता था और आडवाणी इस चैंपियनशिप के 139 साल के इतिहास में इसे जीतने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय बने थे।
आज पंकज आडवाणी बिलियर्ड्स और स्नूकर में दुनिया के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दोनों खेलों के सभी फॉर्मेट में विश्व खिताब जीते हैं। उन्होंने बिलियर्ड्स और स्नूकर दोनों में एशियाई और विश्व चैंपियनशिप अपने नाम की है।
पंकज आडवाणी के पास आईबीएसएफ विश्व चैंपियनशिप में सबसे ज्यादा जीत का भी रिकॉर्ड है। साल 2024 में पंकज आडवाणी ने अपने चमकदार करियर में एक और उपलब्धि हासिल की है। उन्हें चीन के शांगराओ शहर में स्थित विश्व बिलियर्ड्स संग्रहालय के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था।

													