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दिल्ली की दो महिला मुख्यमंत्र‍ियों के साथ जानें क्या जुड़ा है इतिहास, आतिशी की राह नहीं है आसान

Know what history is connected with two women Chief Ministers of Delhi, Atishi's path is not easy

नई दिल्ली, 21 सितंबर । भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद आतिशी मार्लेना के तौर पर दिल्ली को तीसरी महिला मुख्यमंत्री मिली है।

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आप विधायक दल की बैठक में आतिशी को विधायक दल का नेता चुना गया। ऐसे में वह बतौर सीएम आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव तक सत्ता की बागडोर संभालेगी।

आतिशी मार्लेना से पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित ने दिल्ली के सीएम पद की कुर्सी संभाली है। इन दोनों महिला मुख्यमंत्र‍ियों का कार्यकाल कई ऐतिहासिक फैसलों का गवाह रहा है।

भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के नाम दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। साल 1998 में तत्कालीन सीएम साहिब सिंह वर्मा के कुर्सी छोड़ने के बाद सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया गया था। वो 13 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की सीएम रहीं। बतौर सीएम 52 दिनों का उनका कार्यकाल उपलब्धियों से ज्यादा चुनौतियों से भरा रहा। सुषमा स्वराज ने संकट के समय सीएम पद का कार्यभार संभाला था। क्योंकि दिल्ली में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था।

अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान सुषमा स्वराज ने महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर तमाम बड़े फैसले किये, जो उनके राजनीतिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुए। स्वराज और आतिशी दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के भीतर सियासी संकट के समय विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री बनीं। 1998 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस पार्टी ने बड़े जनादेश के साथ सत्ता में वापसी की।

शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में नई सरकार का गठन हुआ। शीला दीक्षित का कार्यकाल कई बड़ी उपलब्धियों का गवाह रहा। उनके शासनकाल में दिल्ली में सफलतापूर्वक कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया था। वहीं दिल्ली में बेहतर सड़कों के निर्माण के साथ फ्लाईओवर का जाल बिछाया गया। दिल्ली मेट्रो ट्रेन शीला दीक्षित सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

उन्होंने दिल्ली को वर्ल्ड क्लास शहर बनाने के लिए विकास के तमाम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा। उनके नेतृत्व में दिल्ली के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। इसमें ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के विस्तार के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर क्रांतिकारी सुधार शामिल है। शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। वो अपने गुड गवर्नेंस मॉडल के लिए हमेशा सुर्खियों में रही।

बतौर सीएम आतिशी मार्लेना की राह आसान नहीं होने वाली है। उनके पास विकास के काम को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा समय नहीं है। क्योंकि अगले के प्रारंभ में दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। ऐसे में जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करना और जनता तक अपनी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी के अलावा तमाम बुनियादी सुविधाओं को लेकर विपक्ष इन दिनों ‘आप’ पर हमलावर है, ऐसे में सरकार की छवि को बरकरार रखना आतिशी मार्लेना के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं प्रशासनिक मोर्चे के साथ-साथ अपने कैबिनेट सहयोग‍ियों और उप राज्यपाल के साथ सामंजस्य बैठाना भी आतिशी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

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