कुल्लू, 5 अप्रैल कल यहां जिला पुस्तकालय में पूर्व मंत्री और प्रख्यात साहित्यकार स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी की जयंती पर एक ‘कवि संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया। कई गणमान्य व्यक्तियों और प्रार्थी के परिवार के सदस्यों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। सभी ने हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति के संरक्षण और कला एवं साहित्य को बढ़ावा देने में उनके उल्लेखनीय योगदान की सराहना की। भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुल्लू जिला जनसंपर्क अधिकारी (डीपीआरओ) नरेंद्र शर्मा थे।
शर्मा ने कहा कि प्रार्थी, जो ‘चांद कुल्लवी’ के नाम से प्रसिद्ध हुए, एक गतिशील व्यक्तित्व थे और उन्होंने सांस्कृतिक चेतना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि प्रार्थी की प्रकाशित रचनाएँ ‘लुहरी से लिंगघाटी तक’ और ‘प्रार्थी के खड़पके’ पाठकों के बीच लोकप्रिय थीं।
उन्होंने कहा, “कुल्लू जिले के नग्गर गांव में पैदा हुए लाल चंद प्रार्थी एक प्रख्यात साहित्यकार, राजनीतिज्ञ और हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी और उर्दू के विद्वान थे। उन्होंने अपने धाराप्रवाह भाषण से दर्शकों को घंटों मंत्रमुग्ध रखा।”
कुल्लू जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने कहा कि प्रार्थी पहाड़ी कला, संस्कृति और भाषा के लिए प्रेरणा का स्रोत थे और उन्होंने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा दिया और लोकप्रिय बनाया। उन्होंने कहा, “उनके प्रयासों से हिमाचल में भाषा एवं संस्कृति विभाग और हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की स्थापना हुई और कुल्लू के प्रसिद्ध दशहरा मेले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।”
प्रोफेसर दयानंद गौतम ने प्रार्थी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर आमंत्रित विद्वानों ने चर्चा की। साहित्यिक संगोष्ठी में साहित्यकार एवं कवि प्रताप सिंह, शांति देवी, सोमलता, उर्सेम लता आदि ने भाग लिया। प्रार्थी जयंती समारोह भुट्टिको में भी आयोजित किया गया और ब्राह्मण जनकल्याण सभा ने ढालपुर मैदान में पूजा की।
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