कुल्लू, 12 मार्च
हिमाचल प्रदेश उन अग्रणी राज्यों में से एक है जिसने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं।
कुल्लू जिला विभिन्न मार्गों पर सफलतापूर्वक इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन कर रहा है। हिमाचल सड़क परिवहन निगम (HRTC) कुल्लू-मंडी और मनाली-बंजार रूट पर 25 इलेक्ट्रिक बसें चला रहा है।
कुल्लू कस्बे में स्थानीय मुद्रिका सेवा के तहत इलेक्ट्रिक बस सेवा भी संचालित की जा रही है। गर्मी के मौसम में पर्यटकों को फेरी लगाने के लिए मनाली से रोहतांग, कोकसर और अटल टनल तक इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाती हैं।
इलेक्ट्रिक बसों के लिए कुल्लू में 80 किलोवाट क्षमता के सात और मनाली में पांच चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। हर बस को चार्ज होने में दो घंटे लगते हैं जिसके बाद यह 200 किमी तक का सफर तय कर सकती है।
हाल ही में कुल्लू क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) को दो इलेक्ट्रिक वाहन मुहैया कराए गए। इनमें से एक वाहन का इस्तेमाल कुल्लू आरटीओ कर रहा है जबकि दूसरे का उड़नदस्ता इस्तेमाल कर रहा है। इन इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मिनी सचिवालय में 7.2 किलोवाट के दो चार्जिंग प्वाइंट लगाए गए हैं।
कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग कहते हैं, ‘इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बजौरा और सोलंग नाला के बीच 17 स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।’
राज्य सरकार 2025 तक हिमाचल को ‘हरित ऊर्जा राज्य’ बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य में सभी सरकारी विभागों के वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदला जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में सरकारी वाहनों के लिए रोजाना डेढ़ करोड़ रुपये का डीजल खरीदा जाता है।
इलेक्ट्रिक वाहन नीति इस खर्च को बचाने का प्रयास करेगी ताकि राज्य पर वित्तीय बोझ कम हो। पर्यावरण के अनुकूल इन इलेक्ट्रिक वाहनों की परिचालन लागत लगभग 2.5 रुपये प्रति किमी है।