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पानीपत में औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी बड़ा चुनावी मुद्दा

Lack of basic facilities in industrial areas in Panipat is a big election issue

यहां के औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव इस विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में खराब सफाई व जल निकासी व्यवस्था, खराब स्ट्रीट लाइटें और टूटी सड़कें उद्योगपतियों को नाराज कर रही हैं।

बुरी तरह प्रभावित इलाकों में सेक्टर 25 (भाग 1, 2), सेक्टर 29 (भाग 1 और 2), बरसात रोड, पानीपत ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में काबरी रोड पर स्थित उद्योग और पानीपत शहर विधानसभा क्षेत्र में पुराना औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं। उद्योगपतियों ने कई बार कई मंचों पर नागरिक मुद्दों को उठाया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

सेक्टर 29 (भाग 2) में जल निकासी व्यवस्था बुरी तरह से ठप है, जबकि सेक्टर 25 की सड़कें पिछले कई वर्षों से दयनीय स्थिति में हैं।

हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज पानीपत चैप्टर के चेयरमैन विनोद धमीजा ने कहा कि टेक्सटाइल सिटी के सभी औद्योगिक क्षेत्रों की हालत खस्ता है। पुराने औद्योगिक क्षेत्र में सरकार ने एचएसआईआईडीसी के माध्यम से सड़क और पानी की निकासी के लिए नाले के निर्माण पर 19 करोड़ रुपये खर्च किए थे। लेकिन काम पूरी तरह से असंतोषजनक है। सड़कें तो बन गई हैं, लेकिन दोनों तरफ विकास नहीं हुआ।

इसके अलावा सेक्टर में करीब 35 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में सभी खराब हो गईं। धमीजा ने बताया कि 10 मिनट की बारिश में ही औद्योगिक क्षेत्र में पानी भर जाता है।

उन्होंने कहा कि ये सभी मुद्दे तत्कालीन सांसद संजय भाटिया और विधायक प्रमोद विज के समक्ष कई बार उठाए गए।

पानीपत एक औद्योगिक केंद्र है और इसे “टेक्सटाइल सिटी” के नाम से जाना जाता है। इसका कारोबार 60,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का है, जिसमें 15,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निर्यात कारोबार शामिल है।

धमीजा ने कहा, “हम उद्योगपति कर और सभी शुल्क चुकाते हैं। कपड़ा उद्योग सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है जो अधिकतम नौकरियां प्रदान करता है, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।”

धमीजा ने कहा, हम सभी दलों के उम्मीदवारों के समक्ष अपने मुद्दे उठाते रहे हैं, जो हमें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन देते हैं।

पानीपत डायर्स एसोसिएशन, सेक्टर 29 (पार्ट-2) के अध्यक्ष नितिन अरोड़ा ने कहा कि एचएसवीपी द्वारा वर्ष 2003 में 779 प्लॉटों के साथ डाइंग सेक्टर विकसित किया गया था। लेकिन, उन्होंने आरोप लगाया कि सेक्टर में स्थापना के बाद से ही बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि हमारे सेक्टर को तीन विभागों में बांट दिया गया है – एचएसआईआईडीसी, एचएसवीपी और नगर निगम। इसके कारण उद्योगपतियों को अपने कामों के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर जाना पड़ता है, जो एक बड़ी परेशानी है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) और कॉमन बॉयलर भी पानीपत के उद्योगों की दो बड़ी मांगें हैं।

उन्होंने कहा, “हम इन सभी मुद्दों को निर्वाचित विधायकों और सांसदों के समक्ष नियमित रूप से उठाते रहे हैं और अब फिर से सभी दलों के उम्मीदवारों के समक्ष इन मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।” पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने कहा कि सरकार बनने के बाद इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी

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