जून 2022 में जब एक गरीब परिवार की 15 साल की लड़की इलाज और आर्थिक मदद के लिए पड़ोस के एक घर गई, तो उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि यह उसके लिए एक दर्दनाक अनुभव की शुरुआत होगी। उसे कथित तौर पर नशीला पदार्थ दिया गया, कई पुरुषों ने उसका यौन उत्पीड़न किया और उसे एक आरोपी से दूसरे आरोपी के पास भेजा गया – पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि ये परिस्थितियाँ समाज के सबसे कमज़ोर वर्गों को निशाना बनाने वाले तस्करी नेटवर्क में निहित एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा प्रतीत होती हैं। पीठ ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई इस समस्या को बढ़ावा देगी और बाल संरक्षण कानूनों के मूल उद्देश्य को ही विफल कर देगी।
न्यायमूर्ति नमित कुमार ने स्पष्ट किया कि इस तरह के मामले कोई छिटपुट घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति का हिस्सा हैं जिसमें आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि की नाबालिग लड़कियों का संगठित समूहों द्वारा शोषण किया जाता है। पीठ ने कहा कि ऐसे अपराध अनैतिक बाल और मानव तस्करी के नेटवर्क में निहित प्रतीत होते हैं, जो समाज के कुछ वर्गों में “सक्रिय रूप से व्याप्त” हैं।
न्यायमूर्ति नमित कुमार ने पीड़िता के यौन शोषण में मदद करने की आरोपी एक महिला की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। इस मामले में रोहतक ज़िले के एक पुलिस स्टेशन में 1 जुलाई, 2022 को अपहरण, बलात्कार और आईपीसी के प्रावधानों के तहत दर्ज अन्य अपराधों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
याचिकाकर्ता उस घर में किराएदार के तौर पर रह रहा था जहाँ पीड़िता मदद मांगने गई थी। न्यायमूर्ति नमित कुमार ने कहा कि अदालत को यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि मामले के तथ्यों से तस्करी के रैकेट से जुड़े होने की स्पष्ट “गंध” आती है।
अदालत ने जोर देकर कहा, “वर्तमान मामले के तथ्य और परिस्थितियां अनैतिक बाल/मानव तस्करी नेटवर्क से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं, जो आजकल समाज के कमजोर वर्गों में सक्रिय रूप से व्याप्त है।”
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