शिमला, 22 अगस्त राज्य में इस वर्ष सितम्बर से दिसम्बर तक प्रत्येक घर एवं गौशाला में 21वीं पशुगणना कराई जाएगी, ताकि पशुधन का सटीक आंकड़ा एवं विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो सके। कृषि एवं पशुपालन मंत्री चन्द्र कुमार ने यह बात केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय एवं राज्य पशुपालन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में यहां आयोजित राज्य स्तरीय 21वीं पशुगणना पर आधारित सॉफ्टवेयर एवं क्षेत्रीय विशिष्ट नस्लों पर सभी जिला नोडल अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में विकास के लिए प्रभावी नीतियों एवं योजनाओं का क्रियान्वयन तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब पशुधन से संबंधित सही आंकड़े उपलब्ध हों।
उन्होंने कहा, “मौजूदा दौर में पशुधन पर हमारी निर्भरता कहीं न कहीं कम हुई है। जनगणना कार्यक्रम से हम इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं, ताकि लोगों की आय बढ़ सके।”
उन्होंने कहा कि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है, इसलिए पशुगणना के लिए दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में कई प्रकार की चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन विभाग इन सभी चुनौतियों और बाधाओं को पार करते हुए पशुगणना सुनिश्चित करेगा।
पशुधन जनगणना के आंकड़ों का सही संग्रह सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय समुदायों को संगठित करके और उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए पंचायत स्तर पर जागरूकता लाई जाएगी। दक्षता और सटीकता बढ़ाने के लिए डेटा संग्रह के लिए डिजिटल टूल और मोबाइल ऐप शामिल किए गए हैं।
पशुपालन सचिव राकेश कंवर ने कहा कि पशुधन का मुख्य उद्देश्य नीति निर्माण के लिए पशुधन की संख्या, प्रजाति और नस्ल के बारे में सही आंकड़े एकत्रित करना है।
नस्ल-वार डेटा एकत्र किया जाएगा पशुधन गणना में मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट और मुर्गी सहित अन्य पशुधन शामिल होंगे साथ ही नस्लवार देशी और विदेशी नस्लों का डेटा भी एकत्र किया जाएगा जनगणना सभी 12 जिलों के राजस्व गांवों में की जाएगी
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