January 20, 2025
National

मद्रास हाईकोर्ट ने सनातन धर्म के खिलाफ उदयनिधि की टिप्पणियों की आलोचना की, पर वारंट जारी करने से इनकार

Madras High Court criticizes Udhayanidhi’s comments against Sanatan Dharma, but refuses to issue warrant

चेन्नई, 7 मार्च । मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने बुधवार को कहा कि तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री पी.के. शेखरबाबू और सांसद ए. राजा की सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणियां विकृत और विभाजनकारी थीं, लेकिन उन्होंने उनके खिलाफ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति अनीता सुमंत ने कहा, “सनातन धर्म को एचआईवी, एड्स, डेंगू और मलेरिया के बराबर बताने वाले बयान, जिन्हें खत्म करने की जरूरत है, विकृत, विभाजनकारी और संवैधानिक सिद्धांतों और विचारों के विपरीत हैं और घोर दुष्प्रचार के समान हैं।”

हालांकि, न्यायाधीश ने मामले के संबंध में उदयनिधि स्टालिन, पी.के. शेखरबाबू और ए. राजा के खिलाफ वारंटो जारी करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति अनीता सुमंत ने माना कि तीन अलग-अलग रिट याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई राहत समय से पहले थी, क्योंकि विवाद के संबंध में कई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) विभिन्न पुलिस स्टेशनों के समक्ष लंबित थीं। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि अब तक दोषसिद्धि नहीं हुई है, इसलिए अधिकार वारंट जारी नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि सत्ता पर काबिज व्यक्तियों के बीच वैचारिक मतभेद हो सकता है, लेकिन उम्मीद की जाती है कि मतभेद व्यवस्था की गहन समझ पर आधारित होगा।

उन्होंने कहा कि ऐसी आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए न कि विनाशकारी। मौजूदा मंत्रियों द्वारा दिए गए बयान तथ्यात्मक रूप से सटीक होने चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को केवल एक ही नैतिकता का प्रचार करना चाहिए जो संविधान द्वारा प्रचारित है।

हिंदू मुन्नानी के पदाधिकारी टी. मनोहर, जे. किशोर कुमार और वी.पी. जयकुमार ने तीन रिट याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें यह स्पष्ट किया गया था कि उन्होंने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में मामले दायर किए थे, न कि संगठन के पदाधिकारियों के रूप में।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि निर्वाचित विधायक सनातन धर्म के खिलाफ काम नहीं कर सकते।

पहला याचिकाकर्ता ने कहा कि सनातन धर्म हिंदू धर्म का पर्याय है। उन्‍होंने कहा कि उदयनिधि स्टालिन को 2 सितंबर, 2023 को चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन’ में सनातन धर्म के विनाश का आह्वान नहीं करना चाहिए था।

दूसरे याचिकाकर्ता ने सम्मेलन में पी.के. शेखरबाबू की भागीदारी पर आपत्ति जताई, भले ही मंत्री ने इस विषय पर कोई भाषण नहीं दिया। तीसरे याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि ए. राजा उदयनिधि स्टालिन के विचारों का समर्थन करते हैं, इसलिए वह विधायक के रूप में बने नहीं रह सकते।

हालांकि, उदयनिधि स्टालिन पी.के. शेखर बाबू और ए. राजा ने रिट याचिकाओं की स्थिरता पर सवाल उठाया और तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा बताए गए कारणों से अधिकार वारंट जारी नहीं किया जा सकता।

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