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तीर्थराज प्रयाग के कायाकल्प से विकास की नई इबारत लिख रहा महाकुंभ

Maha Kumbh is writing a new chapter of development with the rejuvenation of the holy place Prayagraj

लखनऊ, 24 मार्च )। तीर्थराज प्रयाग अब अपने नाम के अनुरूप चमक रहा है। महाकुंभ 2025 की तैयारियों ने इसका ऐसा कायाकल्प कर दिया है कि प्रयागवासियों की ठाठ देखते ही बन रही है। मुख्यमंत्री योगी स्वयं विभिन्न मंचों से प्रयागराज के निखरने और संवरने की चर्चा कर रहे हैं।

दशकों से इस भूमि से जुड़े लोगों का भी यह मानना है कि इलाहाबाद से प्रयागराज का बदलाव न केवल भव्य रहा, बल्कि ऐतिहासिक भी है। महाकुंभ 2025 के मद्देनजर प्रयागराज में इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, सुंदरीकरण और आध्यात्मिक स्थलों का जबरदस्त विकास हुआ है। महाकुंभ 2025 के पहले प्रयागराज को एक आधुनिक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। नए पुलों, ओवरब्रिज, सड़क चौड़ीकरण, रेलवे स्टेशनों के विस्तार, इलेक्ट्रिक बसों, पर्यावरणीय सुधार और धार्मिक स्थलों के कायाकल्प ने इसे एक विश्व स्तरीय तीर्थस्थल बना दिया है।

आज प्रयागराज आस्था, अध्यात्म और आधुनिकता का संगम बनकर पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान स्थापित कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किए गए ये कार्य उत्तर प्रदेश की विकास गाथा को नए आयाम दे रहे हैं। मूल रूप से बलिया के निवासी रिटायर्ड ब्रिगेडियर आनंद तिवारी का प्रयागराज से गहरा नाता है। इनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में प्रयागराज का नक्शा ही बदल गया है।

उन्होंने बताया कि पहले यहां सिर्फ तीन पुल (नैनी, झूंसी और फाफामऊ) थे, लेकिन अब कई नए ओवरब्रिज और फ्लाईओवर बनाए गए हैं। हवाई अड्डे तक जाने वाली सड़क को फोरलेन के रूप में विकसित किया गया है, जिससे यातायात सुगम हुआ है। इनका कहना है कि सरकार द्वारा गंगा और यमुना पर एक-एक और पुल, प्रयागराज से सोनभद्र तक 320 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे की मंजूरी भी दी गई है, जिस पर लगभग 22,400 करोड़ रुपये की लागत आएगी। ये योजनाएं आने वाले वर्षों में प्रयागराज को आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कार्यरत अखिलेश तिवारी का कहना है कि कुंभ 2019 और महाकुंभ 2025 के दौरान हुए कार्यों ने प्रयागराज को पूरी तरह बदल दिया है। हाल ही में स्थायी कला ग्राम बनाने की घोषणा की गई, जो अपनी तरह की अनूठी पहल होगी। राष्ट्रीय रोपवे परियोजना के तहत 230 करोड़ रुपये की लागत से रोपवे का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, त्रिवेणी पुष्प के पास थीम पार्क का भी निर्माण हो रहा है। सुंदरीकरण और आधारभूत ढांचे के विस्तार में रसूलाबाद से नागवासुकी मंदिर, किले से गंगा किनारे स्थायी सड़क निर्माण, बकुआ घाट से यमुना बैंक रोड को जोड़ने जैसी योजनाएं शामिल हैं।

छह प्रमुख धार्मिक स्थलों का भी पूरी तरह कायाकल्प हो चुका है। इनमें बड़े हनुमान मंदिर, अक्षयवट, पाताल कूप, भारद्वाज आश्रम एवं पार्क, नागवासुकी मंदिर और वेणी माधव मंदिर शामिल हैं। इन धार्मिक स्थलों के अलावा अन्य कई मंदिरों का भी सुंदरीकरण किया गया है। प्रयागराज में यातायात सुधारने और प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाई गई है। इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण में कमी आई है। इसके अलावा, रेलवे अंडरपास की चौड़ाई तीन से चार गुना बढ़ा दी गई है ताकि यातायात सुगम हो सके।

फ्लाईओवर और रेलवे क्रॉसिंग परियोजनाओं ने प्रयागराज को चमकाया – सोहबतिया बाग फ्लाईओवर का दोहरीकरण – हाशिमपुर चौराहे से बक्शी बांध तक नया ओवरब्रिज – आईईआरटी से सलोरी चौराहे तक ओवरब्रिज, जिससे इस क्षेत्र के निवासियों का आवागमन आसान हुआ – जगतपुर रेलवे क्रॉसिंग पर बने ओवरब्रिज, जिससे वाराणसी-प्रयागराज की कनेक्टिविटी बेहतर हुई। प्रयागराज में पहले गिने-चुने पक्के घाट थे, लेकिन अब दशाश्वमेध, किला, सरस्वती अरैल, बलुआ, यमुना बैंक रोड और रसूलाबाद में स्थायी घाटों का निर्माण किया गया है। ये न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी पिकनिक स्पॉट बन गए हैं। बलुआ घाट से यमुना बैंक तक स्थायी सड़क निर्माण ने इस क्षेत्र को और अधिक खूबसूरत बना दिया है। प्रयागराज के चौराहों को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया गया है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र गिरीश पांडेय का कहना है कि प्रयागराज के सभी प्रमुख चौराहों को धार्मिक और ऐतिहासिक मूर्तियों से सजाया गया है। इसके अलावा, सभी प्रमुख मार्गों की दीवारों पर भव्य पेंटिंग्स बनाई गई हैं, जो प्रयागराज की संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाती हैं। इनके अलावा हरियाली बढ़ाने के लिए सघन पौधारोपण भी किया गया है, जिससे प्रयागराज अधिक स्वच्छ और हरा-भरा नजर आने लगा है।

पांडेय ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रयागराज के प्रमुख मंदिरों और मठों का न केवल सुंदरीकरण किया गया है, बल्कि उनके कॉरिडोर भी विकसित किए गए हैं। इनमें संगम क्षेत्र में स्थित बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर, किले पर स्थित अक्षयवट कॉरिडोर, पाताल कूप कॉरिडोर और भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर शामिल हैं। इन कॉरिडोरों के निर्माण से श्रद्धालुओं की आवाजाही और दर्शन व्यवस्था और अधिक सुगम हो गई है।

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