महाकुंभ नगर, 19 जनवरी। संगम नगरी प्रयागराज में इस बार हो रहा महाकुंभ बहुत ही खास है, क्योंकि 144 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ हो रहा है। इस महाकुंभ में आस्था का अनोखा संगम भी देखने को मिल रहा है। देश-विदेश से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला भी जारी है। साथ ही बाबाओं की अनोखी तपस्या भी हर किसी की जुबान पर है।
इन्हीं में से एक हैं चेतन गिरि महाराज, जिन्होंने 45 किलो से भी अधिक के रुद्राक्ष अपने पूरे शरीर में धारण किया है। उनके हाथ में कमंडल है तो सिर पर रुद्राक्ष की जटाएं हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी जटाओं में चांद को भी धारण किया है।
पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत चेतन गिरि महाराज ने आईएएनएस से बातचीत में बताया, “मैंने 11 हजार रुद्राक्ष अपने शरीर पर धारण किया है, जिसे साल 1992 से पहनकर रखा है। हमारी तपस्या बहुत कठिन होती है। हमें नींद-चैन को त्यागना पड़ता है और बहुत सारे कठिन परिश्रम से गुजरना पड़ता है। इसके बाद जंगल में समय गुजराते हुए भूख-प्यास से भी गुजरना पड़ता है। तब जाकर ही परीक्षा में पास हुआ जाता है।”
उन्होंने कहा, “हमारी तपस्या का अधिकतर समय जंगलों में गुजरता है और इस दौरान अपनी भूख मिटाने के लिए पत्ते खाने पड़ते हैं। हालांकि, कई बार पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है। इसके बाद सभी साधु अलग-अलग जगहों पर चले जाते हैं। वह तब ही बाहर आते हैं, जब 12 साल बाद कुंभ होता है।”
महंत चेतन गिरि जी महाराज ने कहा कि भारत स्वर्ग और महापुरुषों की भूमि है। यहां कई देवताओं ने जन्म लिया है। चाहे वह छत्रपति शिवाजी महाराज हो या महाराणा प्रताप हो, उन्होंने इस धरती पर जन्म लिया।
चेतन गिरि महाराज, भगवान शिव के अवतार में नजर आते हैं। वह कहते हैं कि रुद्राक्ष को शिव का स्वरूप माना जाता है और शिव ही सर्वशक्तिमान हैं।
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