कोलकाता, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि अग्निपथ योजना के तहत सशस्त्र बलों में चार साल की सेवा पूरी करने के बाद राज्य सरकार की नौकरियों में उन पर अग्निपथ की नियुक्ति का अप्रत्यक्ष दबाव है। उनके अनुसार, रक्षा कर्मियों के एक वर्ग की ओर से उनके पास ऐसी अपीलें आई हैं। उन्होंने कहा, “हाल ही में, मुझे इस मामले में एक कर्नल से एक पत्र मिला है। उन्होंने कहा कि वह एक पैनल से अग्निवीरों के नाम भेजेंगे, जिन्हें राज्य सरकार में भर्ती किया जा सकता है।”
हालांकि, बनर्जी ने कहा कि वह किसी भी परिस्थिति में इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाएंगी।
उन्होंने पश्चिम बर्दवान जिले के आसनसोल के औद्योगिक नगर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “राज्य सरकार की नौकरियों में पश्चिम बंगाल के युवा मेरी प्राथमिकता हैं। यह भाजपा द्वारा बनाया गया कूड़ादान है। मुझे इसे क्यों साफ करना है? भाजपा को अपना कूड़ेदान खुद साफ करना होगा।”
भाजपा शासित कुछ राज्यों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे राज्य सरकार में कुछ ऐसे अग्निवीरों को समायोजित करने के लिए विशेष भर्ती योजनाएं लाएंगे, जिन्हें चार साल बाद सशस्त्र बलों द्वारा नहीं रखा जाएगा।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अग्निपथ योजना को महज एक चाल बताते हुए मुख्यमंत्री ने एक बार फिर सशस्त्र बलों में सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल तय करने की मांग उठाई।
उन्होंने यह भी दावा किया कि अग्निपथ योजना भाजपा द्वारा सशस्त्र कैडरों का अपना बल बनाने के लिए सिर्फ एक चाल है। उन्होंने आरोप लगाया, “अग्निपथ योजना के तहत 100 में से केवल चार रंगरूट आम युवाओं से होंगे और बाकी भर्तियां भाजपा की विभिन्न शाखाओं से होंगी।”
बनर्जी ने यह भी कहा कि चार साल में दो चरणों में सिर्फ 60,000 युवाओं की भर्ती की जाएगी। इसका मतलब है कि एक राज्य से 1,000 लोगों की भी भर्ती नहीं की जाएगी। एक तरफ केंद्र सरकार ऐसी चश्मदीद योजनाएं लेकर आ रही है और दूसरी तरफ रेलवे में 80,000 पदों को खत्म कर रही है। सभी केंद्र सरकार उपक्रमों ने नई भर्तियां रोक दी हैं, हालांकि कई पद खाली पड़े हैं। केंद्र सरकार का एकमात्र उद्देश्य इन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचना है।”
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