नई दिल्ली, 18 अगस्त । दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बीते दिनों विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है। अपने इस पत्र में उन्होंने सीएजी की 11 रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने को कहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया जाहिर की।
कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से इस पत्र का कोई जवाब नहीं आया। यह सरकार द्वारा दिल्ली की जनता के प्रति बेरुखी को दिखाता है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने इस संबंध में दिल्ली सरकार से जल्द विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाकर सीएजी रिपोर्ट तुरंत पेश की जाए। आम आदमी पार्टी अपनी जरुरत के अनुसार अल्पकालीन सत्र बुलाती रही है। सीएजी रिपोर्ट जारी करने के लिए सत्र बुलाने में देरी क्यों की जा रही है। वित्त मंत्री आतिशी के पास जो रिपोर्ट लंबित हैं, वह प्रदूषण निवारण, शराब का विनियमन और आपूर्ति, विनियोग खाते, देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों पर निष्पादन लेखा से संबंधित हैं।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “मैं बताना चाहता हूं कि इनमें से कुछ रिपोर्ट 2022 से लंबित है। रिपोर्ट को उजागर नहीं करने का मकसद केजरीवाल सरकार की विवादास्पद, विफल शराब नीति में हुए भ्रष्टाचार को दबाना है। शराब नीति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के शराब नीति में पूरी तरह से शामिल होने के प्रमाण सार्वजनिक हो जाएंगे।”
उन्होंने कहा कि शराब नीति में गड़बड़ी की बात कांग्रेस ने ही सबसे पहले उठाई। दिल्ली को बचाने के लिए शराब नीति के भ्रष्टाचार की रिपोर्ट कांग्रेस ने ही सीबीआई में दर्ज कराई। दिल्ली सरकार ऑटो चालकों के साथ दस साल से धोखा कर रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर नहीं रखना चाहती। सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में संवैधानिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करना ही नहीं चाहती। सीएजी पर बात नहीं करके आतिशी ने बिजली बोर्ड के पेंशन धारकों को कैशलेस मेडिकल सुविधाएं देने की घोषणा की। हालांकि, यह घोषणा भी बिना कोई नोटिफिकेशन जारी करके की गई, जिसका उद्देश्य केवल सहानुभूति लेना है।
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