यहां से 20 किलोमीटर दूर बैजनाथ स्थित मिनी सचिवालय परिसर में ‘पीर मजार’ के निर्माण का मामला ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य में कई स्थानों पर अवैध मस्जिदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
जुटाई गई जानकारी से पता चला है कि अल्पसंख्यक समुदाय ने 2018-19 के दौरान एसडीएम बैजनाथ के कार्यालय के सामने ‘मजार’ का निर्माण किया था। शुरुआत में, यह एक खुली संरचना थी और मुट्ठी भर मुसलमान नियमित रूप से वहाँ ‘नमाज़’ अदा करते थे, लेकिन बाद में इसे टिन शेड से ढक दिया गया और परिसर को सीमेंट कर दिया गया और ‘मजार’ के चारों ओर टाइलें भी बिछा दी गईं।
बैजनाथ के एसडीएम डीसी ठाकुर ने कहा कि मामला हाल ही में उनके संज्ञान में आया है और वे इसकी जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि एसडीएम कार्यालय बनने से पहले सरकारी जमीन पर मजार थी। लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसे नहीं हटाया गया। हालांकि, राजस्व विभाग के एक स्थानीय अधिकारी ने दावा किया कि यह पहले ही स्थापित हो चुका है कि मजार सरकारी जमीन पर बनी थी और वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी।
पिछले छह सालों में मिनी सचिवालय में बैठने वाले एसडीएम और तहसीलदार समेत किसी भी जिला अधिकारी ने सरकारी जमीन पर मजार के निर्माण का विरोध नहीं किया। दो साल पहले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सरकारी जमीन पर मजार के निर्माण को लेकर एसडीएम और तहसीलदार से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हालांकि, यह पता नहीं चल पाया कि मिनी सचिवालय परिसर में मजार के निर्माण की अनुमति किसने दी, वह भी एसडीएम कार्यालय से महज 50 मीटर की दूरी पर।
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