रोहतक, 6 जुलाई रोहतक पीजीआईएमएस में कार्यरत एमबीबीएस प्रशिक्षुओं ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि उन्हें मरीजों की जांच व उपचार के बजाय सैंपल लेने, जांच पर्चियां व अन्य फार्म भरने में लगाया जा रहा है।
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय और रोहतक पीजीआईएमएस के अधिकारियों को दिए गए संयुक्त ज्ञापन में एमबीबीएस प्रशिक्षुओं ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कार्य आवंटन सुनिश्चित करने में हस्तक्षेप की मांग की है।
एमबीबीएस इंटर्न ने शिकायत की है कि उन्हें पीजीआईएमएस ओपीडी में अलग कमरों में बैठाया जाता है और इसलिए पीजीआईएमएस निदेशक के स्पष्ट आदेशों के बावजूद उन्हें मरीजों की जांच और उपचार से दूर रखा जाता है। इंटर्न ने यूएचएस और पीजीआईएमएस अधिकारियों से अनुरोध किया है कि उन्हें ओपीडी में कंसल्टेंट्स के साथ बैठने की अनुमति दी जाए ताकि वे मरीज प्रबंधन सीख सकें।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे समर्पित कर्मचारियों को नमूने लेने और पर्चियां और फॉर्म भरने का काम सौंपें। ज्ञापन में कहा गया है, “इसके अलावा यह भी अनुरोध किया गया है कि सभी विभागों को निर्देश दिया जाए कि वे प्रशिक्षुओं को कम से कम अनिवार्य रोटरी मेडिकल इंटर्नशिप (सीआरएमआई) लॉगबुक में उल्लिखित प्रमाणित प्रक्रियात्मक कौशल का प्रदर्शन करने का मौका दें, क्योंकि अधिकांश विभागों में ऐसा नहीं किया जा रहा है।”
टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एसएस लोहचब ने कहा, “सभी संबंधित विभागों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएंगे कि एमबीबीएस प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देते समय एनएमसी के दिशानिर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाए।” उन्होंने कहा कि प्रशिक्षुओं द्वारा उठाई गई सभी चिंताओं का समाधान किया जाएगा।