महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक, संकाय सदस्यों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भारी कमी का सामना कर रहा है, जिसमें संकाय सदस्यों के 54 प्रतिशत से अधिक पद और गैर-शिक्षण कर्मचारियों/अधिकारियों के 63 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं। हरियाणा सूचना अधिकार मंच के राज्य संयोजक सुभाष द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय में 385 बजटीय शिक्षण पदों में से 205 रिक्त हैं।
इसी प्रकार, स्व-वित्तपोषित योजना के तहत स्वीकृत 234 संकाय पदों में से 133 पद भी रिक्त हैं। गैर-शिक्षण कर्मचारियों की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है, 1,748 स्वीकृत पदों में से 1,102 रिक्त हैं। उन्होंने कहा, “आरटीआई के जवाब में स्वीकार किया गया है कि 2020 और अक्टूबर-2025 के बीच 71 संकाय सदस्य सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उनकी जगह किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई।”
एमडीयू को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा ए+ ग्रेड प्राप्त है। उन्होंने कहा कि स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इतिहास, संगीत और समाजशास्त्र विभागों सहित कई शिक्षण विभाग एक भी नियमित संकाय सदस्य के बिना काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन सेवानिवृत्त संकाय सदस्यों को पुनः नियुक्त करके तथा ऐसे विभागों में शोधार्थियों (पीएचडी छात्रों) को शिक्षण कार्य सौंपकर इस व्यवस्था को जारी रखने का प्रयास कर रहा है। एक प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ऐसी अस्थायी व्यवस्थाएँ सीमित समय के लिए ही लागू की जा सकती हैं। ये हमेशा के लिए जारी नहीं रह सकतीं। छात्रों और उच्च शिक्षा के व्यापक हित में राज्य विश्वविद्यालयों में संकाय सदस्यों की नियुक्ति की जानी चाहिए।”
कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने कहा कि सरकार से संकाय सदस्यों की भर्ती की अनुमति मिल गई है और नियुक्तियां जल्द ही कर दी जाएंगी।

