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मेरठ : उप जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर किसान ने आत्मदाह का प्रयास किया, हालत गंभीर

Meerut: Farmer attempts self-immolation outside Deputy District Magistrate's office, condition critical

मेरठ 6 जनवरी । उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में कथित तौर पर एक किसान ने उसकी भूमि को सरकारी बताकर उस पर वन विभाग द्वारा कब्जा करने के विरोध में मवाना तहसील के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय के सामने शुक्रवार को आत्मदाह का प्रयास किया।

एक अधिकारी ने बताया कि आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश करने वाले किसान की पहचान अलीपुर मोरना निवासी जगबीर (53) के रूप में हुई है। उसका आरोप है कि वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए उसकी भूमि को सरकारी बताकर अपने कब्जे में ले लिया है।

सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के चिकित्सक अनिल शर्मा ने बताया कि 70 फीसदी से अधिक जल जाने के कारण किसान की हालत गंभीर बनी हुई है।आग में बुरी तरह झुलसे किसान को बेहतर इलाज के लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया ।

मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि शुक्रवार को मवाना तहसील में दोपहर करीब 12:30 बजे जगबीर नाम के व्यक्ति ने आत्मदाह करने की कोशिश की। उसकी जेब से जो प्रार्थना पत्र मिला है, उसमें उसका कथन है कि उसकी जमीन वन विभाग ने कब्जा बता कर ले ली है, जिसकी सही तरीके से जांच करायी जाये। हालांकि, प्रार्थना पत्र घटना के समय तक दिया नहीं गया था।

मीणा ने बताया कि यह घटना गुरुवार की उस घटना के परिप्रेक्ष्य में हुई है, जिसमें वन विभाग की एक जमीन (खसरा संख्या 854) पर जगबीर का कब्जा पाया गया। वन विभाग द्वारा तहसील दिवस पर प्राप्त शिकायतों के क्रम में राजस्व की टीम के साथ मौके पर जाकर कब्जा की गई जमीन को कब्जा मुक्त करा कर जमीन को वन विभाग को दिया गया। इसी कार्रवाई के विरोध में जगबीर ने आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की है।

क्षेत्रीय वन अधिकारी रविकांत चौधरी ने बताया कि किसान द्वारा लगाए सभी आरोप गलत हैं। किसान ने वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा था। इस भूमि पर पिछले कई वर्षों से अवैध कब्जा था, जिसे अभियान के तहत ट्रैक्टर चलाकर अतिक्रमण मुक्त कराया गया और वन विभाग ने इस भूमि को अपने कब्जे में ले लिया है।

वहीं घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर संदेश लिखकर कहा, कि “उत्तर प्रदेश में भाजपा के तथाकथित अमृतकाल की इससे दुर्भाग्यपूर्ण तस्वीर और क्या हो सकती है कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जाने वाला किसान आज अपनी जमीन को बचाने के लिए खुद को आग लगाने पर मजबूर हो रहा है। मेरठ में वन विभाग द्वारा अपनी जमीन हड़पे जाने के बाद कई बार कोशिश करने पर भी सुनवाई न होने से हताश होकर खुद को आग लगाने वाले किसान को सबसे पहले अच्छे से अच्छा इलाज सुनिश्चित कर बचाया जाए और फिर उसकी जमीन लौटाई जाए।”

सपा नेता ने आगे कहा, “भाजपा खेती और किसान दोनों की विरोधी है। जब से भाजपा आई है तब से उसकी बुरी नजर किसानों की जमीन पर भी है और उनकी पैदावार पर भी। चाहे भूमि के अधिग्रहण का कानून रहा हो, खाद की बोरी में चोरी, महंगे बीज, बिजली, सिंचाई के रूप में लगातार बढ़ती कृषि लागत और फसल की लगातार घटती कीमत या काले कानून सब भाजपा की किसान विरोधी सोच का उदाहरण हैं। किसान भाजपा का दाना-पानी उठा देंगे।”

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