नई दिल्ली, 6 जनवरी। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को टॉपवर्थ ऊर्जा एंड मेटल्स लिमिटेड (पहले श्री वीरांगना स्टील्स लिमिटेड) और उसके तीन पूर्व अधिकारियों – अनिल कुमार सक्सेना, मनोज माहेश्वरी और आनंद नंद किशोर सारदा – को 2005 में महाराष्ट्र में तीन कोयला ब्लॉकों के आवंटन के संबंध में धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के लिए दोषी ठहराया।
विशेष न्यायाधीश संजय बंसल का फैसला कंपनी को महाराष्ट्र के उमरेड जिले में मार्की मंगली-2, 3 और 4 कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
आरोपी व्यक्ति, जो आवंटन के समय कंपनी में अधिकारी थे, को 11 जनवरी को सजा पर बहस का सामना करना पड़ेगा।
कंपनी अब टॉपवर्थ समूह के अंतर्गत है। बेचे जाने के बाद इसका नाम बदल दिया गया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच के दौरान नागपुर, यवतमाल और मुंबई में छापेमारी की।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला 1993 और 2005 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक जांच से सामने आया। एजेंसी ने दावा किया कि आरोपियों ने एक गैर-मौजूद इकाई वीरांगना स्टील्स के नाम पर खनन पट्टा दस्तावेज दर्ज किए। उन्होंने कंपनी का नाम टॉपवर्थ में बदलने की मंजूरी माँगी थी, लेकिन शेयरधारिता में बदलाव के कारण मंजूरी नहीं दी गई थी।
इसके अलावा, सीबीआई ने दावा किया कि कंपनी अपने स्पंज आयरन संयंत्र की क्षमता का विस्तार किए बिना नियमों का उल्लंघन करते हुए अत्यधिक खनन में लगी हुई है।