December 21, 2024
National

महाराष्ट्र के शिरडी में होगी मंदिर ट्रस्ट्स की बैठक, सनातन मंदिर बोर्ड बनाने की मांग

Meeting of temple trusts to be held in Shirdi, Maharashtra, demand to form Sanatan Mandir Board

शिरडी, 21 दिसंबर । महाराष्ट्र के मंदिर ट्रस्ट्स की बैठक 25 और 26 दिसंबर को शिरडी में आयोजित होगी। इस बैठक में हजारों हिंदू मंदिरों के ट्रस्टी और प्रतिनिधि शामिल होकर सनातन मंदिर बोर्ड बनाने की मांग करेंगे।

हिंदू मंदिरों के ट्रस्टी और प्रतिनिधि बैठक में मांग करेंगे की मंदिर प्रबंधन में सरकार की दखलअंदाजी को समाप्त किया जाए और मुस्लिम वक्फ बोर्ड की तरह ही सनातन मंदिर बोर्ड बनाया जाए। यह बैठक महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद, हिंदू जनजागृति समिति, श्री जीवदानी देवी मंदिर (विरार), भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर (पुणे), अष्टविनायक मंदिरों, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (नासिक के पास) और देहू मंदिर द्वारा आयोजित की जा रही है।

बैठक में मंदिरों की भूमि पर अवैध कब्जे और बिक्री पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की भी मांग की जाएगी। इसके अलावा, मंदिरों में प्रवेश करने के लिए एक ड्रेस कोड लागू करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की जाएगी।

मंदिरों के ट्रस्टी और प्रतिनिधियों का मानना है कि मंदिरों का प्रबंधन धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा है, इसलिए सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके साथ-साथ मंदिरों का प्रबंधन के लिए एक विशेष बोर्ड की आवश्यकता है, जो मंदिरों के हितों की रक्षा कर सके।

बता दें कि देश भर में अब सनातन धर्म बोर्ड बनाने की मांग उठने लगी है। तमाम धर्माचार्यों और संतों ने सनातन धर्म बोर्ड बनाने की मांग की है। संतों का कहना है कि स्वतंत्र भारत में सनातन बोर्ड होना चाहिए। हम चाहते हैं कि हमारे मंदिर, हमारी पूजा, हमारी परंपराओं की व्यवस्था स्वतंत्र रूप से हो, बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के। जब सरकार ने हमारे बारे में नहीं सोचा, तो अब समय आ गया है कि कम से कम हमारी भावनाओं को समझा जाए और सनातन बोर्ड की मांग की जाए।

हाल ही में पत्रकारों से बात करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा था कि अगले साल 26 जनवरी को होने वाली धर्म संसद में सनातन धर्म बोर्ड बनाने की मांग जोर-शोर से उठाई जाएगी। हमारा प्रयास है कि इस धर्म संसद से निकलने वाली आवाज सीधे दिल्ली तक पहुंचे। इसमें हमारे सभी संत महात्मा, अखाड़ों के पदाधिकारी और महामंडलेश्वर शामिल होंगे। सभी के पास अपनी-अपनी समस्याएं हैं। इन समस्याओं पर बातचीत की जाएगी, और इसके बाद हम एक निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद हम इसे प्रस्तावित करेंगे और पारित करेंगे। हमारी सरकार से कोई विशेष मांग नहीं है, क्योंकि संत कभी कुछ नहीं मांगते। संत परमार्थी होते हैं, उनका जीवन समाज के लिए होता है। संत हमेशा समाज के कार्यकर्ता होते हैं। जितने भी मंदिर-मठ हैं, वे हमारे नहीं, समाज के हैं, और जो भी आय होती है, वह समाज के कार्यों पर खर्च होती है।

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