लुधियाना, 18 मई, 2025: पंजाब सरकार के सहयोग से एसोसिएशन ऑफ साइकेट्रिस्ट्स (एओपी) ने रविवार को लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पाल ऑडिटोरियम में “सांझी राह” (कॉमन पाथ) नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया।
यह कार्यक्रम राज्य सरकार के नेतृत्व में चल रहे “युद्ध नशे विरुद्ध” अभियान का हिस्सा था और राज्य सरकार के अधिकारियों और पंजाब भर के मनोचिकित्सकों के बीच एक सहयोगी बैठक के रूप में कार्य किया।
इस कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह, राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा, पंजाब के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) कुमार राहुल, नशा विरोधी अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. बसंत गर्ग, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ. हितेंद्र कौर और मानसिक स्वास्थ्य एवं नशा मुक्ति के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संदीप भोला शामिल थे।
अपने संबोधन में सांसद संजीव अरोड़ा ने प्रमुख सचिव कुमार राहुल की भावना को दोहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि नशे की समस्या को रोकने में मनोचिकित्सक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने राज्य भर के शैक्षणिक संस्थानों में मनोचिकित्सकों को शामिल करते हुए जन जागरूकता अभियान चलाने के महत्व पर जोर दिया। अरोड़ा ने कहा कि छात्रों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की सलाह पर ध्यान देने की संभावना अधिक होती है, भले ही वे बड़ों या शिक्षकों के मार्गदर्शन को अनदेखा करते हों।
एमपी अरोड़ा ने नशे की लत के इलाज में एक व्यवस्थित बदलाव की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने वकालत की कि अस्पतालों में भर्ती नशे के आदी लोगों को सामान्य चिकित्सकों के बजाय मनोचिकित्सकों के पास भेजा जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने मनोरोग उपचार से जुड़े कलंक को खत्म करने का आह्वान किया और मनोचिकित्सकों से सरकार के नशा विरोधी अभियान में स्वैच्छिक समर्थन देने का आग्रह किया। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) कुमार राहुल ने अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा कि मनोचिकित्सकों ने अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने में गहरी रुचि दिखाई है।
उन्होंने अभियान के तीन स्तंभों – आपूर्ति में कमी, हानि में कमी, तथा मांग में कमी – को रेखांकित किया तथा इस बात पर बल दिया कि मनोचिकित्सकों को इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सांसद अरोड़ा के योगदान, खास तौर पर सिविल अस्पताल लुधियाना को बेहतर बनाने के उनके प्रयासों की सराहना करते हुए की। उन्होंने जालंधर और अमृतसर के सिविल अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने के लिए अरोड़ा के चल रहे काम और कैंसर रोगियों की सहायता के लिए उनके प्रयासों की भी सराहना की।
डॉ. सिंह ने मनोचिकित्सकों की सरकार के साथ सहयोग करने की इच्छा पर संतोष व्यक्त किया तथा पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने घोषणा की कि अभियान में शामिल होने वाले मनोचिकित्सकों को प्रतिदिन दो घंटे योगदान देना होगा और उनकी सेवाओं के लिए उन्हें प्रति घंटे 1,500 रुपये का पारिश्रमिक मिलेगा।
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