वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के हिमाचल उच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित लोगों को राहत के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा, क्योंकि राज्य सरकार उनकी ओर से अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकती।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने आज विधानसभा में शून्यकाल के दौरान ज्वालामुखी विधायक संजय रतन द्वारा उठाए गए मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही। रतन ने कहा था कि राज्य सरकार को उन लोगों को राहत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए जो दशकों से अपने घरों में रहने के बावजूद उजाड़े जा सकते हैं।
नेगी ने कहा, “राज्य सरकार हिमाचल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय नहीं जा सकती। बेदखली का सामना कर रहे पीड़ित लोगों को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा, जैसा कि उच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित कुछ अन्य लोगों ने किया है।” 1.63 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने वन भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है और उन्हें चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित किया गया है।
नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित लोगों को वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत राहत मिल सकती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है।
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