बिलासपुर के विधायक त्रिलोक जामवाल ने आज विधानसभा में कहा कि उन्हें नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन में कमरा देने से मना कर दिया गया, जबकि उन्होंने पहले से बुकिंग करा रखी थी। जामवाल ने शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शून्यकाल के दौरान कहा, “हिमाचल भवन में विधायकों को ठहराने के बजाय सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) अधिकारियों को ठहरा रहा है। जीएडी के अधिकारी विधायकों द्वारा किए गए फोन कॉल भी नहीं उठाते हैं।”
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह गंभीर मामला है और वे इसकी जांच करेंगे। उन्होंने कहा, “अधिकारियों को निर्वाचित विधायकों को उचित सम्मान देना चाहिए।”
जामवाल ने राज्य में विधायकों के लिए ध्वज संहिता का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि डिप्टी कमिश्नर और एसपी अपने वाहनों पर ध्वज लगा सकते हैं, लेकिन विधायकों को यह सुविधा नहीं दी जाती। मुख्यमंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि विधायकों के वाहनों के लिए ध्वज संहिता के नियम जल्द ही अधिसूचित किए जाएंगे।
ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने मुख्यमंत्री से मानसून आपदा में अपने मकान खो चुके लोगों के लिए विधायक प्राथमिकता निधि के तहत दी जाने वाली अनुदान राशि को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तथा फिर 7 लाख रुपये करने का आग्रह किया, ताकि लोगों को अपने मकानों के पुनर्निर्माण के लिए सार्थक वित्तीय सहायता मिल सके।
आनी विधायक लोकेंद्र कुमार ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में अवैध खनन की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। चिंतपूर्णी विधायक सुंदर सिंह बबलू ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक सहकारी समिति में 18 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और इसके बजाय उसे पदोन्नति दी जा रही है।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बबलू के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि राज्य में सहकारी समितियों के पूरे कामकाज को डिजिटल किया जा रहा है और इससे घोटालों पर रोक लगेगी। फतेहपुर के विधायक भवानी सिंह पठानिया ने शाह नहर के क्षतिग्रस्त होने का मुद्दा उठाया, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र में सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है