चंडीगढ़, 12 जून पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा मोरनी के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांगे जाने के लगभग एक सप्ताह बाद वन विभाग ने स्वीकार किया कि उसके पास हवाई पानी से आग बुझाने जैसी आधुनिक अग्निशमन तकनीक नहीं है।
न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल और न्यायमूर्ति विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत जवाब में मोरनी-पिंजौर प्रभागीय वन अधिकारी विशाल कौशिक ने कहा कि अधिकारी उपलब्ध संसाधनों के साथ समय पर उपाय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की तारीख तक कोई सक्रिय आग नहीं थी, उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान आग की सभी घटनाओं पर काबू पा लिया गया है।
उन्होंने कहा, “इस बार गर्मी बहुत ज़्यादा रही है, तापमान कम रहा है, नमी कम रही है और लंबे समय तक सूखा रहा है, जिससे जंगल की ज़मीन पर सूखे चीड़ के पेड़ आग के लिए कमज़ोर हो गए हैं। आग लगने की घटनाएँ अनुकूल अग्नि स्थितियों और कई बार, अतिक्रमणकारियों, स्थानीय निवासियों या आगंतुकों की लापरवाही के कारण हो सकती हैं।”
उन्होंने कहा कि विभाग शुष्क क्षेत्रों में वनों में आग लगने के बढ़ते खतरे को देखते हुए हर वर्ष तैयारियां करता है, जिसमें अग्नि रेखाएँ स्थापित करना, अग्निशामक दल की तैनाती और आग की घटनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए तत्परता शामिल है।
उन्होंने कहा कि इन तैयारियों में आग का तुरंत पता लगाने और उसे बुझाने के लिए सुसज्जित टीमें बनाना शामिल है, जिनका प्रतिक्रिया समय एक घंटे तक हो।