शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की वरिष्ठ नेता और बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने आज पंजाब विश्वविद्यालय की मौजूदा सीनेट बॉडी को तत्काल विस्तार देने और सीनेट चुनावों के लिए स्पष्ट समयसीमा घोषित करने की मांग की।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में बठिंडा के सांसद ने पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव कराने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से अवगत कराया, जो इस वर्ष 31 अक्टूबर को निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद नहीं हो रहे हैं।
हरसिमरत बादल ने कहा कि इसे पंजाब के लोगों को विश्वविद्यालय के प्रशासन में भागीदारी से बाहर रखने का जानबूझकर किया गया प्रयास माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीनेट 1904 से पंजाब विश्वविद्यालय का प्रतिनिधि शासी निकाय है और इसे ऐसा ही रहना चाहिए।
पंजाब विश्वविद्यालय में पंजाब की भूमिका का विवरण देते हुए बादल ने कहा कि वर्तमान में पंजाब के 201 कॉलेज विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं और वे परीक्षा शुल्क के रूप में प्रतिवर्ष 200 करोड़ रुपये का योगदान दे रहे हैं, तथा पंजाब सरकार 40 प्रतिशत धनराशि प्रदान कर रही है।
उन्होंने कहा, “शेष 60 प्रतिशत धनराशि केंद्र सरकार से आती है, जो पंजाब से एकत्र किए गए करों से भी काफी हद तक प्राप्त होती है। इन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और आर्थिक योगदानों के बावजूद, सीनेट चुनावों में देरी और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नियंत्रण को केंद्रीकृत करने के प्रयासों से विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और विरासत को खतरा है।”
बादल ने मंत्री को यह भी बताया कि पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने इस कदम का विरोध किया है, क्योंकि इससे लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व कमजोर हुआ है तथा विश्वविद्यालय प्रशासन में पंजाब की आवाज कम हुई है।
उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पंजाब विश्वविद्यालय एक अंतरराज्यीय निगमित निकाय है, जिसमें पंजाब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ हितधारक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के लोगों की भावनाओं तथा पंजाब विश्वविद्यालय में उनकी ऐतिहासिक और आर्थिक हिस्सेदारी को देखते हुए मैं आपसे इन मांगों का समर्थन करने तथा यह सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूं कि मौजूदा ढांचे में बदलाव किए बिना सीनेट चुनाव शीघ्रता से कराए जाएं।’’
बठिंडा के सांसद ने छात्रों को सस्ती शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय में सभी शुल्क वृद्धि को वापस लेने की भी मांग की।
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