November 13, 2025
National

दिल्ली ब्लास्ट अलफलाह यूनिवर्सिटी पर एनएएसी का कारण बताओ नोटिस, ईडी भी करेगी जांच

NAAC issues show-cause notice to Alfalah University over Delhi blasts; ED to probe

दिल्ली के रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट के बाद अलफलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) ने यूनिवर्सिटी को फर्जी एक्रेडिटेशन क्लेम के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी यूनिवर्सिटी की फंडिंग को लेकर जांच करेगी।

एनएएसी के डायरेक्टर गणेशन कन्नाबिरण ने 12 नवंबर को जारी नोटिस में कहा कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर गलत दावा किया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि उसके तीन कॉलेज, अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, एनएएसी ए ग्रेड), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (2008 से) और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, एनएएसी ए ग्रेड) एनएएसी मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन एनएएसी ने स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग स्कूल को 2013-2018 तक (सीजीपीए 3.08) और एजुकेशन स्कूल को 2011-2016 तक (सीजीपीए 3.16) ‘ए’ ग्रेड मिला था, जो समाप्त हो चुका है।

एनएएसी ने इसे ‘जनता, अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने वाला’ बताया। नोटिस में कई सवाल पूछे गए, जिनका यूनिवर्सिटी को 7 दिनों में जवाब देना होगा। तब तक वेबसाइट से एनएएसी का जिक्र हटाना अनिवार्य है। नोटिस के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई।

वहीं, दूसरी ओर ईडी ने यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू की है। दिल्ली ब्लास्ट केस में आरोपी डॉक्टरों- डॉ. उमर नबी, डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन सईद के ट्रांजेक्शन चेक किए जाएंगे। इन डॉक्टरों ने 20 लाख रुपए इकट्ठा कर 26 क्विंटल एनपीके फर्टिलाइजर खरीदा, जो आईईडी बनाने के लिए इस्तेमाल हुआ।

ईडी फॉरेंसिक ऑडिट से विदेशी फंडिंग का पता लगाएगी। अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने विदेशी फंडिंग से इनकार किया है, लेकिन जांच में सहयोग का दावा किया है।

उल्लेखनीय है कि फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ और दिल्ली के लाल किले के निकट हुए ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम गलत कारणों से चर्चाओं में है। इसी को देखते हुए अब यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि हमारा इस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है। जिस तरह से इस ब्लास्ट के बाद हमारी यूनिवर्सिटी का नाम लिया जा रहा है, उससे इसकी गरिमा को ठेस पहुंच रही है। हमारे संज्ञान में यह भी आया है कि कई सोशल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हमारी यूनिवर्सिटी के संबंध में मनगढ़ंत और झूठे बयान जारी किए जा रहे हैं, जिनमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।

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