शिमला, 12 मार्च स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की राज्य कमेटी ने रणनीति बनाकर आने वाले दिनों में छात्रों की विभिन्न मांगों को लेकर अपना आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है.
आज यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए एसएफआई के राज्य सचिव दिनेश डेंटा ने कहा कि एसएफआई का तीन दिवसीय 22वां राज्य सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शिक्षा के व्यावसायीकरण, भगवाकरण और केंद्रीकरण के खिलाफ नाहन में आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के अंतिम दिन 33 सदस्यीय नई समिति का गठन किया गया जिसमें अनिल ठाकुर को अध्यक्ष और उन्हें (डेंटा को) महासचिव चुना गया. उन्होंने कहा कि समिति छात्र चुनाव बहाली, एनईपी, बढ़ती बेरोजगारी, प्रोफेसरों की फर्जी भर्तियां और शिक्षा में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संघर्ष करेगी.
डेंटा ने कहा कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक हालात ने राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। “वर्तमान राज्य सरकार न केवल पिछले दो वर्षों से युवाओं को रोजगार देने में असमर्थ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की नियुक्ति करने में भी असमर्थ है। यह विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों की ‘फर्जी भर्तियों’ की जांच करने में भी असमर्थ है,” उन्होंने आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “इन समस्याओं के अलावा एसएफआई के 22वें राज्य सम्मेलन में गठित नई राज्य कमेटी ने अगले दो वर्षों तक राज्य में लगातार लागू की जा रही इन छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार ऐसे ही छात्र विरोधी आदेश जारी करती रही तो एसएफआई छात्रों को लामबंद कर प्रदेश भर में इस आंदोलन को तेज करेगी, जिसके लिए यह सरकार जिम्मेदार होगी.