हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने रविवार को एमजीएनआरईजीए के स्थान पर लाए गए वीबी-जी आरएएम जी कानून को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे “ग्रामीण भारत पर जानबूझकर और सुनियोजित हमला” और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर आक्रमण करार दिया।
एमजीएनआरईजीए योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने के विरोध में नूह में हो रहे प्रदर्शन को संबोधित करते हुए राव ने कहा कि मोदी सरकार ने “एमजीएनआरईजीए के 20 वर्षों की उपलब्धियों को एक ही दिन में मिटा दिया है”।
सरकार के इस दावे को खारिज करते हुए कि वीबी-जी आरएएम जी महज एमजीएनआरईजीए का पुनर्गठन है, राव ने कहा कि यह “जनता के साथ धोखा” है। उन्होंने आरोप लगाया, “यह अधिकार-आधारित, मांग-प्रेरित रोजगार गारंटी को खत्म कर देता है और इसे केंद्र नियंत्रित, सीमित और मनमानी योजना में बदल देता है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह कानून न केवल राज्यों के अधिकारों पर हमला है, बल्कि गांवों की आत्मनिर्भरता को भी कमजोर करता है।”
एमजीएनआरईजीए के महत्व को समझाते हुए राव ने कहा कि इस योजना ने ग्रामीण श्रमिकों को सौदेबाजी की शक्ति दी है, जिसके परिणामस्वरूप मजदूरी बढ़ी है, शोषण कम हुआ है और मजबूरी में होने वाले पलायन पर रोक लगी है। उन्होंने कहा, “ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ इस योजना ने करोड़ों परिवारों को सम्मानजनक आजीविका प्रदान की है। यही सशक्तिकरण है जिसे भाजपा सरकार अस्वीकार्य मानती है।”
महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि एमजीएनआरईजीए के तहत महिलाओं की भागीदारी लगातार 50 प्रतिशत से ऊपर रही है। उन्होंने कहा, “जब रोजगार कार्यक्रमों को सीमित कर दिया जाता है, तो सबसे पहले महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब ओबीसी समुदाय ही इससे वंचित रह जाते हैं। यह सामाजिक न्याय पर सीधा हमला है।”

