July 4, 2025
National

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन ने 2 महीने में उपभोक्ताओं को 7.14 करोड़ रुपए का रिफंड दिलवाने में की मदद

National Consumer Helpline helped consumers get refunds worth Rs 7.14 crore in 2 months

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने पिछले दो महीनों में उपभोक्ताओं को 7.14 करोड़ रुपए का रिफंड सफलतापूर्वक उपलब्ध करावाया है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, रिफंड दावों से संबंधित 15,426 उपभोक्ता शिकायतों का प्रभावी ढंग से समाधान करते हुए 30 क्षेत्रों में निवारण किया गया।

ई-कॉमर्स क्षेत्र में सबसे अधिक शिकायतें दर्ज की गईं, जिसमें 8,919 शिकायतें दर्ज की गईं और तदनुसार, सबसे अधिक 3.69 करोड़ रुपए की रिफंड सुविधा प्रदान की गई। इसके बाद यात्रा और पर्यटन क्षेत्र का स्थान रहा, जिसमें 81 लाख रुपए का रिफंड किया गया।

मंत्रालय के अनुसार, ई-कॉमर्स रिफंड से संबंधित शिकायतें पूरे देश से आईं, जिनमें उत्तर प्रदेश से 1242 सबसे अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। इसके बाद सिक्किम तथा दादरा और नगर हवेली जैसे छोटे क्षेत्रों से शिकायतें दर्ज की गईं।

विभाग ने कहा, “25 अप्रैल से 30 जून 2025 के बीच 7.14 करोड़ रुपए के रिफंड की सुविधा हेल्पलाइन की प्रभावकारिता और जवाबदेही को दर्शाती है।”

एनसीएच में पंजीकृत शिकायतों और डॉक की संख्या में यह वृद्धि विशेष रूप से कॉल, वेब पोर्टल, व्हाट्सएप, एनसीएच ऐप, उमंग, सीपीजीआरएएमएस, एसएमएस, ईमेल और एआई-सक्षम चैटबॉट जैसे डिजिटल तरीकों के माध्यम से प्लेटफॉर्म की बढ़ती पहुंच को भी दर्शाती है।

यह समय पर परेशानी मुक्त शिकायत निवारण सुनिश्चित करने में एनसीएच की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करता है। यह हेल्पलाइन देश भर के उपभोक्ताओं के लिए प्री-लिटिगेशन फेज में शिकायत निवारण की मांग करने के लिए सिंगल-पॉइंट ऑफ एक्सेस के रूप में उभरी है। उपभोक्ता टोल-फ्री नंबर 1915 के माध्यम से 17 भाषाओं में अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।

विभाग ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और सभी उपभोक्ताओं से अपने अधिकारों की रक्षा करने और समय पर निवारण पाने के लिए हेल्पलाइन का सक्रिय रूप से उपयोग करने का आग्रह किया।

एनसीएच उपभोक्ता शिकायतों को तेजी से और सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने में एक महत्वपूर्ण पूर्व-मुकदमेबाजी भूमिका निभाता है, जिससे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता आयोगों पर बोझ कम होता है।

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