नूरपुर, 8 जुलाई कांगड़ा घाटी में हुई शुरुआती मानसूनी बारिश ने कांगड़ा जिले के भल्ली के निकट एक सड़क निर्माण कंपनी द्वारा बनाई गई कंक्रीट की दीवार के नीचे की ढीली मिट्टी को बहा दिया है।
30 मीटर लंबी और 4 मीटर ऊंची दीवार का निर्माण चार महीने पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा कांगड़ा जिले में सेउनी से राजोल तक पठानकोट-मंडी फोरलेन परियोजना के दूसरे चरण के निर्माण के लिए नियुक्त कंपनी द्वारा किया गया था।
निर्माण कंपनी ने कथित तौर पर दीवार के लिए ठोस नींव नहीं रखी थी और इसे ढीली परत पर खड़ा कर दिया था। रविवार को द ट्रिब्यून टीम द्वारा मौके पर किए गए दौरे से पता चला कि मौसमी नाले के किनारे बनाई गई दीवार भारी बारिश के कारण गिर सकती है, जिससे निर्माणाधीन राजमार्ग को खतरा हो सकता है।
3 मार्च को सामाजिक कार्यकर्ता और भल्ली निवासी अमन राणा ने निर्माण कंपनी के खिलाफ केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को शिकायत दी थी कि दीवार बनाते समय कथित तौर पर तकनीकी मानदंडों की अनदेखी की गई है। एनएचएआई, पालमपुर के परियोजना निदेशक, जिन्हें 4 अप्रैल को शिकायत मिली थी, ने 11 मई को शिकायतकर्ता को सूचित किया था कि साइट की स्थिति और आवश्यकताओं के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की गई है।
राणा ने ट्रिब्यून को बताया कि एनएचएआई और निर्माण कंपनी के समक्ष मुद्दा उठाने के बावजूद राजमार्ग के इस विशेष हिस्से की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने राजमार्ग सुरक्षा दीवार के निर्माण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि कथित लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है।
जांच से पता चला है कि एनएचएआई ने पठानकोट-मंडी हाईवे चौड़ीकरण परियोजना के तीसरे चरण के निर्माण का काम गुरुग्राम स्थित गवार कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को दिया था, जिसने आगे यह काम स्थानीय कंपनी भारत कंस्ट्रक्शन को सौंप दिया था। हाईवे निर्माण कार्य की कथित खराब गुणवत्ता को लेकर यात्रियों में नाराजगी है। पठानकोट-मंडी हाईवे चौड़ीकरण परियोजना का निर्माण हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) के तहत किया जा रहा है।
भारत कंस्ट्रक्शन के मानव संसाधन राजीव कश्यप ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
एनएचएआई पालमपुर के परियोजना निदेशक विकास सुरजेवाला ने संपर्क करने पर बताया कि एनएचएआई की तकनीकी टीम ने मौके का निरीक्षण करने के बाद निर्माण कंपनी को नोटिस जारी किया है तथा पुरानी दीवार को गिराकर पुनः निर्माण करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि कंपनी को भुगतान भी रोक दिया गया है। उन्होंने कहा, “पठानकोट-मंडी फोर-लेन हाईवे के पूरा होने के बाद 15 साल तक इसकी मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी भी हाईवे निर्माण कंपनियों की है।”