यह प्रकरण आज से 34 वर्ष पुराना है यानी 1988 का है जब नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय क्रिकेट का हिस्सा थे। पार्किंग को लेकर उनका गुरनाम नामक 65 वर्षिय बुजुर्ग से विवाद हो गया था जिसमें गुरनाम सिंह को चोंटे आईं थीं और उन्हें आनन-फानन में हस्पताल ले जाया गया। जहाँ गुरनाम सिंह को मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना में सिद्धू के दोस्त रूपिंदर भी शामिल थे। इस मामले में देश की लोअर एवं शीर्ष अदालतों से दोनों आरोपी बरी हो चुके हैं। परन्तु पीड़ित परिवार की पुनर्विचार याचिका के चलते देश की शीर्ष अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी पाते हुए सश्रम एक वर्ष की सजा सुनाई है।
क्या है पूरा प्रकरण?
- 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हुआ। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ।
- 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पीड़ित पक्ष इसके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चला गया।
- 2006 में हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
- जनवरी 2007 में सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया। जिसमें उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद सिद्धू सुप्रीम कोर्ट चले गए।
- 16 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार जुर्माना लगा। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने SC में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी।
- 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर अपना फैसला बदलते हुए 323IPC यानी चोट पहुंचाने के आरोप में एक साल कैद की सजा सुना दी।