बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर में मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना के तहत नीरा प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन बुधवार को कुलपति प्रो. डी.आर. सिंह ने किया। यह कदम नीरा टैपर्स और विक्रेताओं की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।
मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना के तहत नीरा निकालने वालों और बेचने वालों की आजीविका में सुधार हो रहा है।
भागलपुर के किसान लखन चौधरी ने बताया कि बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहते थे। लेकिन, अब कोई चिंता नहीं है, वे स्कूल जा रहे हैं और अब हमारा भविष्य भी सुरक्षित लगता है।
एक लाभार्थी और उद्यमी, रजनीश गुप्ता ने बताया कि नीरा का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभदायक है, और यह रोजगार के अनेक अवसर भी प्रदान करता है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) के कुलपति डी.आर. सिंह ने बताया कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। हमारे वैज्ञानिक 2012 से इस पर काम कर रहे हैं और बिहार सरकार ने भी नीरा को संरक्षित करने और इसकी गुणवत्ता में सुधार करने पर केंद्रित एक परियोजना का समर्थन किया है। 2022 में इस तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित किया गया। मुझे खुशी है कि तीन साल के अथक प्रयास के बाद हम नीरा को 3 से 6 महीने तक रख सकते हैं। नीरा में सभी मिनरल्स मौजूद हैं। इसका सेवन पाचन क्रिया के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। नीरा प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन बिहार में नीरा उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। नीरा टैपर्स के लिए एक उज्ज्वल भविष्य और बेहतर आजीविका की उम्मीद लगाई जा रही है।
मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य नीरा (ताड़ी) उत्पादन को बढ़ावा देना और नीरा टैपर्स (रस निकालने वालों) और पेड़ मालिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए लागू की गई है।
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