मुंबई, 18 जून । मशहूर फिल्म निर्माता विनोद गनात्रा को फिल्मों में उनके योगदान के लिए दक्षिण अफ्रीका के प्रतिष्ठित ‘नेल्सन मंडेला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। इस अवॉर्ड को पाने वाले वह पहले भारतीय बन गए हैं। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
गुजरात के जाने-माने फिल्म मेकर और एडिटर विनोद गनात्रा का बच्चों के सिनेमा में अपार योगदान है। उन्हें इसके लिए सातवें नेल्सन मंडेला चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल में प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
गनात्रा को 36 नेशनल और इंटरनेशनल अवॉर्ड्स मिले हैं। इसमें बच्चों के प्रोग्राम ‘बैंगन राजा’ के लिए दूरदर्शन से ‘जानकीनाथ गौर अवॉर्ड’ भी शामिल है।
उनके नाम शिकागो में अपनी गुजराती फिल्म ‘हारुन-अरुण’ के लिए ‘लिव उलमान शांति पुरस्कार’ पाने वाले एकमात्र भारतीय फिल्म मेकर होने की भी उपलब्धि है।
पिछले तीन दशकों में गनात्रा को दुनिया भर में 100 से ज्यादा नेशनल, रीजनल और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की जूरी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने 400 से ज्यादा डॉक्यूमेंट्री और न्यूज रील को एडिट और डायरेक्ट किया है। इसके अलावा, उन्होंने बच्चों और युवाओं के लिए 25 बहुभाषी टीवी प्रोग्राम भी बनाए हैं।
वह ‘अहमदाबाद इंटरनेशनल चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल’ के फाउंडर डायरेक्टर और मुंबई में कल्चर सिनेमा फिल्म फेस्टिवल (सी2एफ2) और किड्जसिनेमा के जूरी मेंबर रह चुके हैं।
गनात्रा ने अपनी मेहनत से दुनिया भर में नाम कमाया है।
उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म ‘हेडा-होडा (ब्लाइंड कैमल)’ के लिए कई पुरस्कार जीते। उनकी फिल्म ‘लुका-छुपी’ लद्दाख में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर शूट की गई पहली चिल्ड्रन फिल्म थी।
इसके बाद उन्होंने गुजरात में भारत-पाकिस्तान सीमा पर आधारित एक और गुजराती फिल्म ‘हारुन-अरुण’ बनाई, जिसका प्रीमियर 26वें शिकागो इंटरनेशनल चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल में हुआ।
गनात्रा वर्तमान में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ फिल्म्स के मानद सदस्य हैं।
Leave feedback about this