राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को सभी 32 अवैध ब्लीचिंग इकाइयों पर पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (ईसी) लगाने और वसूलने का निर्देश दिया है। इन अवैध ब्लीचिंग इकाइयों को हाल ही में एचएसपीसीबी ने सील कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने 14 मई को ट्रिब्यून में प्रकाशित समाचार रिपोर्ट ‘पानीपत की अवैध ब्लीचिंग इकाइयां भूमि, जलमार्गों को प्रदूषित करती हैं’ पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें पानीपत जिले में अवैध ब्लीचिंग हाउसों के संचालन के कारण पर्यावरण संबंधी समस्याओं के बारे में बताया गया है।
मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए, अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली एनजीटी की प्रधान पीठ ने एचएसपीसीबी, हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण (एचडब्ल्यूआरए) और डीसी पानीपत को नोटिस जारी किया और मामले में विस्तृत जवाब मांगा तथा उन्हें हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
एनजीटी ने 23 मई को अपने आदेश में कहा कि लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पानीपत में ये अवैध ब्लीचिंग इकाइयां किस प्रकार रसायन मिश्रित अपशिष्ट जल को सीधे नालियों और खुली भूमि में बहाकर पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं, जो पर्यावरण नियमों का घोर उल्लंघन है।
इनमें से अधिकांश अवैध ब्लीचिंग इकाइयां कृषि भूमि पर स्थापित हैं और नौल्था, डाहर, बिंझौल, बलाना, पालड़ी, कुरार, डिडवाड़ी, मंडी, इसराना और नारा गांवों में फैली हुई हैं।
एनजीटी के निर्देशों के बाद, एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी भूपेंद्र सिंह चहल ने अपनी टीम के साथ सभी 32 अवैध ब्लीचिंग इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और 28 अगस्त को एनजीटी को रिपोर्ट प्रस्तुत की।
एचएसपीसीबी द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट के अनुसार, कुल 31 ब्लीचिंग इकाइयां कपड़ा रंगाई और ब्लीचिंग में लगी पाई गईं, जो लाल श्रेणी में आती है और एक इकाई प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण में लगी पाई गई, जो नारंगी श्रेणी में आती है।