राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश में नियमों का उल्लंघन कर बेतरतीब और अनियमित निर्माण गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की है और उचित निगरानी और प्रवर्तन की कमी के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों से जवाब मांगा है।
एनजीटी ने 8 अगस्त, 2025 को द ट्रिब्यून में प्रकाशित “उचित जांच के अभाव में हिमाचल में अवैध निर्माण फल-फूल रहे हैं” शीर्षक वाली खबर का स्वत: संज्ञान लिया है। इसने पाया है कि पहाड़ी राज्य में हो रही बेतरतीब निर्माण गतिविधि में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन प्रतीत होता है।
एनजीटी ने राज्य के नगर एवं ग्राम नियोजन, शहरी विकास, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन विभाग, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, देहरादून को नोटिस जारी किया है।
अदालत ने निर्देश दिया है कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां अगली सुनवाई से पहले वाले सप्ताह में वकीलों के माध्यम से हलफनामे के माध्यम से अपने जवाब दाखिल करें। सीधे जवाब दाखिल करने वालों को अगली सुनवाई के दौरान अदालत की सहायता के लिए वर्चुअल माध्यम से शामिल होने को कहा गया है।
एनजीटी के 20 अगस्त के आदेश में कहा गया है, “इस खबर ने पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन और निर्धारित अधिनियमों के प्रावधानों के क्रियान्वयन से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाए हैं।” अब यह मामला 11 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है।